माहेश्वरी सदन में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा आरंभ
उदयपुर। श्रीमद्भागवत का वाचन करते हुए हरिराय बावा जी ने कहा कि अपने जीवन को स्वच्छ बनाएं। जैसे वातावरण में रहेंगे, वैसी ही प्रवृत्ति होगी। संगत अच्छी रखें। जीवन को स्वच्छ बनाएं और समय निकालें। आज के भौतिक युग में टीवी के आदी हो गए हैं जो गलत है। रिमोट अपने हाथ में रखें लेकिन टीवी के रिमोट नहीं बनें। टीवी को अपने अनुसार चलाएं न कि टीवी के अनुसार स्वयं को चलाएं।
वे सोमवार से श्रीनाथ मार्ग स्थित माहेश्वरी पंचायत भवन में मनोहरदेवी-कौशल्यादेवी के सौजन्य से आरंभ हुई सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन के बजाय आज लोग जीवन स्तर को सुधारने में लगे हैं। मछली को भले ही दूध, घी या शहद के साथ स्वर्ण-रजत पात्र में रख दो लेकिन वह तड़प कर मर जाएगी। उसके जीवन का स्तर उठाने से नहीं बल्कि उसका जीवन तो जल में है। जीवन स्तर को अच्छा बनाना बुरा नहीं लेकिन उसके चक्कर में हम भगवान को भूल जाएं, यह गलत है। भक्ति मिले इसलिए भागवत श्रवण किया जाता है। भक्ति को मुक्ति (मोक्ष) से भी उपर माना गया है।
अगर आपके गले में कंठी है तो इसका मतलब बंधन आपका नहीं बल्कि भगवान का है। भगवान की जिम्मेदारी है कि वह आपके पालन पोषण का ध्यान रखे। कंठी पहने रहेंगे तो गले से जो भी अंदर जाएगा, वह प्रसाद के रूप् में बदल जाएगा।
नित्य तिलक करने की आदत डालें अन्यथा यह रावण का सूतक पालने में आता है। भागवत में 12 स्कन्ध हैं और भगवान के 12 श्रीअंग हैं अर्थात भागवत को भगवान का रूप बताया गया है। इसके 12 स्कन्धों को मातृ स्वरूप बताते हुए पहला-दूसरा स्कन्ध चरण, तीसरा-चौथा स्कन्ध बाहु, पांचवा-छठा जंघा, सातवां दक्षिण भुजा, आठवां-नवां वक्ष स्थल, ग्यारहवां मस्तक और 12 स्कन्ध भगवान श्रीनाथजी की बांई उपर उठी हुई भुजा को बताया गया है। इसमें 335 अध्याय हैं और 18 हजार श्लोक हैं। भगवान ने मानव बनाया है तो मानवता रखो। वैष्णव बनाया है तो वैष्णवता रखो। सभी भगवत नाम से पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
इससे पूर्व नाड़ा खाड़ा स्थित मोनिका इलेक्ट्रोनिक्स से श्रीमद्भागवत शोभायात्रा आरंभ हुई जिसमें महिलाओं ने केसरिया साड़ी में सिर पर कलश लिए थे वहीं पुरुष श्वेत वस्त्र में सिर पर मेवाड़ी पगड़ी धारण किए लाल रंग की कोठि पहने थे। पूरे रास्ते में लोगों ने पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया। शोभायात्रा में श्रीमद्भागवत को सिर पर उठाने का लाभ मुकुट बिहारी, जगदीश एवं सुभाष खण्डेलवाल ने लिया। कथा के आयोजक नवीन खण्डेलवाल ने बताया कि आगामी 3 जनवरी तक यहां नियमित दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक श्रीमद्भागवत वाचन होगा।