राजस्थान विद्यापीठ में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू, जुटे देशभर के प्रबंध विशेषज्ञ
उदयपुर। देशभर के मैनेजमेंट स्टूडेंटस के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वे मैनेजमेंट को बतौर कॅरियर ही नहीं अपनाएं। इसमें नैतिक मूल्यों और सामाजिक दायित्वो का भी समावेश करें। सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के मैनेजमेंट को सार्वजनिक हित में लगाकर देश की विकास रेखा को बढाने का काम करें।
यह आहवान अमेरिका के स्कूल ऑफ बिजनेस के मार्केटिंग विभागाध्यक्ष प्रो श्यााम एस. लोढ़ा ने किया। वे सोमवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक प्रबंध अध्ययन संस्थान की ओर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अमेरिका में एमबीए स्टूडेंटस के लिए कॅरियर के काफी अवसर हैं, लेकिन वहां चिंताजनक बात यह है वहां कंपनी के कंसेप्ट को ही मानना पडता है, जो हमारे स्टूडेंटस के लिए काफी चुनौतिपूर्ण भी है। उन्होंने कहा कि आज प्रथम श्रेणी में भारत का एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं है जबकि हमारे यहां के आईआईएम, आईटी के विधार्थी विदेशों में अपनी एक अलग ही पहचान बना रहे है। रेंकिग के मामले में विदेशी विश्वविद्यालय अपने नजरियें से देखता है। जो पश्चिमी सभ्यता के विचारों को अपनाते है उन देशों को वो प्राथमिकता देते है। भारत में विद्यार्थियों को सिर्फ रोजगार के लिए पढाया जाता है अगर इन्हें नवीनतम शोध करने के बारे में भी पढाया जाये तो आज भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में नम्बर वन बन सकता है। प्रारंभ में निदेशक प्रो. एनएस राव ने स्वागत उद्बोधन देते हुए तीन दिवसीय कार्यशाला की जानकारी दी।
शोध में नवाचार जरूरी : प्रो. श्याम एस. लोढा ने कहा कि छात्र शिक्षा में नवीनतम शोध एवं अनुशंधान के साथ साथ नवाचारिक प्रयोग सम्बंधी योजनाएं बनाना भी जरूरी है साथ ही छात्र प्रायोगिक ज्ञान पर ज्यादा से ज्यादा जोर दे। अध्यक्षता करते हुए सुखाड़िया विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग के निदेशक प्रो. करूणेश सक्सेना ने कहा कि शोध स्थानीय समस्याओं, राष्ट्र के नीति निर्माण व सामुदायिक कार्यो पर आधारित होगा तो स्थानीय समस्याओं के निराकरण में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि छात्र ज्यादा से ज्यादा शोध, कम्युनिटी विकास व स्वास्थ, महिला एवं बाल विकास, पर्यावरण संरक्षण, स्कील डवलपमेंट पर होना चाहिए। विशिष्ठ अतिथि प्रो. के.एस. वर्गीस ने कहा कि अगर छात्रोंको रिसर्च की बारीकियां समझनी होगी। रिसर्च क्या है, क्यों है, कैसे करना है, यदि इन तीनों को गंभीरता से विचार कर लेगा तो उसे कोई समस्या नहीं होगी। प्रो. जी.एस. शौरभ ने वैज्ञानिक पद्वति तथा नवीनतम शोध पद्वति के आधार पर कार्य करना होगा। कार्यशाला में प्रो. संजय बियानी, निदेशक प्रो. एन.एस.राव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रो. राव ने बताया कि कार्यशाला में देश भर के लगभग 95 प्रतिभागी भाग ले रहे है तथा वे यहां तीन दिवसीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में अपने अपने पेपर का वाचन करेंगे। समारोह का संचालन डॉ. हीना खान ने किया तथा धन्यवाद डॉ. निरू राठौड़ दे दिया।