श्रीमद् भागवत का पारायण आज
उदयपुर। एक ओर गोपियों का प्रभु श्रीकृष्ण से विरह वेदना और उसके बाद रुक्मिणी विवाह मानों आज तो महारास का आयोजन हुआ। पहले जहां वेदना की कथा के क्षणों महिलाओं की आंखों से अश्रु बह निकलें, वहीं रुक्मिणी विवाह के दौरान महिला-पुरुषों ने महारास किया। श्रीनाथ मार्ग स्थित माहेश्वरी पंचायत भवन में खण्डेलवाल झालानी परिवार की ओर से चल रही श्रीमद् भागवत का रविवार को पारायण होगा।
शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा के बाद कथा आयोजक खण्डेलवाल-झालानी परिवार के परिजन श्रीनाथजी मंदिर से प्रभु की बारात लेकर पांडाल में पहुंचे जहां रुक्मिणी के संग उनका विवाह हुआ। इस दौरान पूरे मार्ग में बारात का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। बाराती परंपरागत वेशभूषा से सुसज्जित थे। इस अवसर पर सभी बारातियों का स्वागत किया गया।
शनिवार को हरिराय बावा के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत के स्कन्ध में श्रीकृष्ण से गोपियों की विरह वेदना सुनाई कि पांडाल में बैठी महिलाओं की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने कहा कि कथा तो अनंत है। कहानी यानी जिसमें कोई हानि नहीं, मनोरंजन हो लेकिन कथा में जिस की कोई थाह नहीं, अनंत हो। श्रीमद्भागवत कथा भी ऐसी ही है। यहां शनिवार को सातवें दिन कथा का पारायण होगा तो अगले दिन फिर कहीं न कहीं आरंभ होगी।
उन्होंने कहा कि गोपियों को अभिमान होने पर प्रभु ने उनकी परीक्षा ली और उनके मन में जाकर बैठ गए। गोपियों की विरह वेदना का मार्मिक चित्रण सुन श्रद्धालु भावुक हो उठे। जब गोपियों ने हार मान ली तो प्रभु उनके मन से बाहर निकल कर आए और कहा कि अभिमान कभी मत करो। ठाकुरजी का स्मरण तो माला पहनने मात्र से हो जाता है। माला को पहनने और उतारने के बाद उसे मस्तक पर लगाकर, नासिका पर लगाने से भक्ति प्राप्त हो जाती है। इसके बाद जब गोपियों का अभिमान टूट गया तो प्रभु ने उनके साथ महारास किया। पांडाल में बैठे महिला-पुरुष उठकर नृत्य कर उठे। काफी देर तक संगीतमय महारास हुआ। आयोजक परिवार के नवीन खण्डेलवाल ने बताया कि रविवार को श्रीमद्भागवत का पारायण होगा।