फैडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज का अन्तर्राष्ट्रीय ‘पंचम’ द्विवार्षिक अधिवेशन
उदयपुर। आने वाले समय में हम बिना शिक्षा के विकास की बात नही कर सकते और आने वाले युग में बिना शिक्षा के अपनी लडाई भी नही लड सकते, लेकिन शिक्षा के साथ संस्कारों को होना आवश्यक है। यदि शिक्षा संस्कार से जुड़ी हुई हैं तो वह सार्थक हैं अन्यथा शिक्षा सिर्फ कमाई करने का जरिया ही बन कर रह जायेगी।
संस्कारवान शिक्षा पर बल देते हुए उक्त उद्बोधन राजस्थान सरकार के गृहमन्त्री गुलाबचन्द कटारिया ने फैडरेशन ऑफ हुमड़ समाज के पंचम द्विवार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। कटारिया ने कहा कि हमारे साधु संत अपना सर्वत्र त्यागकर संस्कारों की अलख जगाते है और पैदल ही कई किलोमीटर का सफर भी तय करते है। इन साधु संतों के हर कदम वास्तविकता मे हमें संस्कारों की ओर बढ़ाते है। उन्होंने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य हैं कि राजनीति के पदों पर जैन समाज के व्यक्तियों की संख्या ना के बराबर हैं, हम सिर्फ व्यवसाय करने मे व्यस्त है लेकिन राजनीति और सरकारी नौकरी मे आगे बढने की और अग्रसर नही है।
कटारिया ने यह भी कहा कि समाज को आरक्षण का पीछा छोडक़र ऐसे प्रतिभावान बालक-बालिकाओं को चिन्हित करना चाहिये जो आगे बढक़र समाज के साथ देश का नाम रोशन करे, हमारे समाज के संरक्षक बन कर वो अपनी पहचान बनाये। ऐसे बालक- बालिकाएं सरकारी नौकरीयों के लिए भी कॉम्पीटीशन एग्जाम की तैयारी करे।
फैडरेशन आफॅ हुमड समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक शाह ने अधिवेशन के आयोजन एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस अधिवेशन से हमारे समाज को एक नई दिशा मिलेगी। अधिवेशन मे जो वक्ता समाज सुधार के बारे में अपने उद्बोधनो से हमे लाभान्वित कर रहे हैं, हमें चाहिये कि उन बातों को अपने जीवन मे उतारे और एक नई उर्जा के साथ नई शक्ति से और नए विचारों के साथ हुमड समाज को एकजुट कर अपने समाज के साथ देश को आगे बढाने मे किस तरह कार्य कर सकते है उस दिशा मे आगे बढे।
अधिवेशन में श्री दिगम्बर दशा हुमड समाज के अध्यक्ष दिनेश खोडनिया ने गृहमन्त्री कटारिया की बातों को अपना समर्थन देते हुए कहा कि सरकार शिक्षा चिकित्सा जैसी मूलभुत सुविधाएं मुफ्त मे मुहैया करवा रही हैं इसलिए हमें अब इन सबसे एक कदम आगे सोचते हुए समाज के प्रतिभावान बच्चो को आगे लाने का प्रयास करना चाहिये।
प्रथम सत्र के कार्यक्रम मे समाजसेवी सुरेश सिंघवी, बांसवाड़ा, चन्द्रकान्त दोशी, इन्दौर, सुहाष शाह, कुर्दवाड़ी, मंगेश दोशी, फलटन, सुशील शाह, दौण ने समारोह गौरव के रूप मे मंच की शोभा बडाते हुए अपने उद्बोधन से सभी को लाभान्वित किया।
कवि युगराज ने कविताओं से दिया संदेश – फैडरेशन ऑफ हूमड़ समाज के पंचम द्विवार्षिक अधिवेशन के द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि के रूप मे मुम्बई के कवि युगराज जैन ने अपनी कविताओं और शेरों शायरी के माध्यम से समाज को आगे बढऩे का संदेश देने के साथ ही युवा पीढ़ी मे संस्कार के बीज पैदा करने की बात कही। युगराज जैन ने कहा कि देश मे हूमड़ समाज के लोगो की संख्या कम होती जा रही हैं जिसका कारण हैं हमारी श्रद्धा मे कमी होना, हम धर्म के प्रति समर्पित नही है। मंदिर की सीढीयों पर भी हम भगवान के चित्र वाली टाईल्स इसलिए लगाते हैं कि भगवान स्वयं ही ध्यान रखे की वहां कोई थूंके नही क्योंकि हम काफी व्यस्त हैं अपने आप मे। उन्होने समाज को एकजूट करने की बात पर कहा कि अगर समाज के साधु संत मन और वाणी से एक हो जाये तो जैन समाज की जो 84 जातियां हैं वह एक हो सकती है। नई पीढ़ी के लिए संदेश देते हुए युगराज ने कहा कि रात को 8 बजे बाद बच्चो के मोबाइल बंद होकर अभिभावको के पास होने चाहीए जिससे बच्चों और माता-पिता के बीच संस्कारों की बात हो सके।