शहरकोट व बुर्जो की हो मरम्मत व सौंदर्यीकरण
उदयपुर। पिछोला की झील में मृत पड़े कुत्ते को हटाने के लिए जब झील प्रेमियों को निगम से मदद नहीं मिली तो उन्होंने स्वयं श्रमदान कर उसे झील क्षेत्र से बहार निकला। यही नहीं, झील से मृत पक्षियों, घरेलु कचरा, पोलिथिन, शराब की बॉटल्स, प्लास्टिक आदि भी बहार निकला।
रविवार को झील मित्र संस्थान ए झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान में वरीष्ठ नागरिको सहित बालको ने भी बाग़ लिया। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, रमेश चन्द्र राजपूत, कुलदीपक पालीवाल, राम लाल गेहलोत, ललित पुरोहित, गरिमा, हर्षुल, भावेश, दीपेश स्वर्णकार, तेजशंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।
संवाद में तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि प्रस्तावित लेक फेस्टिवल से पूर्व झीलों के किनारे टूट फुट रही शहर कोट व उसके बुर्जो की मरम्मत करवाई जाये। दिवार में जगह जगह पेड़ भी उग रहे है जो दीवार को क्षति पहुंचा रहे हैं, उन्हें उचित विधि से हटाना चाहिए। यही स्थिति पुलियाओं की भी है।
नन्द कशोर शर्मा ने कहा कि झील क्षेत्र में मरे कबूतरो सहित कई पक्षी चाईनिज माझे से कट कर मर रहे है। प्रवासी पक्षियों के प्रवास का भी यह समय है। इस माझे से इंसानो के साथ भी दुर्घटना हो सकती है। प्रशासन को चाईनीज मांजे पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झील घाटों व किनारो पर भारी मात्रा में शौच हो रहा है। प्रशासन व जागरूक नागरिको को शौच मुक्त झीले के लिए सम्मिलित प्रयास करने चाहिए।