डिमांड ने बढ़ाया निर्यात, बिक्री पंहुची 15 लाख
उदयपुर। रंग-बिरंगी एवं आंखों को भाने वाली खुरजा की सस्ती एवं मजबूत ब्लू पोटरी को खरीदने के लिए शहरवासियों में होड़ लगी हुई है क्योंकि यह बोन चाईना की पोटरी से काफी मजबूत एवं सस्ती है तथा यह हस्तनिर्मित है। देश भर के हस्तशिल्पी एवं दस्तकार शहरवासियों के लिए विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प उत्पाद लेकर आये है जिन्हें जनता बेहद पसन्द कर रही है।
ग्रामीण गैर कृषि-विकास अभिकरण (रूडा) एवं विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार नईदिल्ली की ओर से टाउनहॉल में आयोजित किये जा रहे 10 दिवसीय मेले में उत्तरप्रदेश के खुरजा से आये मदनलाल ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व वहंा 400 फेक्टियां हुआ करती थी जो आज बढक़र 1000 से अधिक हो गयी है उसके पीछे मुख्य कारण खुरजा की पोटरी का देश ही नहीं विदेशों में भी डिमांड का बढऩा है। डिमांड तो पहले भी थी लेकिन कोयले की भट्टियां होने के कारण वे देरी से निर्मित हो पाती थी और समय पर मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं हो पाती थी लेकिन अब वहंा पर डीजल की भट्टियां लग जाने से इनका निर्यात अधिक होने लगा है।
करबी 4 लाख की खुरजा की आबादी में इन फेक्टियों ने 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रखा है। वर्तमान में यह उद्योग लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य केन्द्र बिन्दु बन चुका है। बीकानेर की मिट्टी,केमीकल सहित अनेक प्रकार के उत्पादों को मिलाकर बनायी जाने वाली इस पोटरी का बनाने में 5-7 दिन का वक्त लगता है। मदनलाल ने बताया कि इस हेण्डीक्राफ्ट मेले में वे नयी डिजाईन के कप, मर्तमान,हंांिडया सूप बाउल सहित अनेक उत्पाद उपलब्ध है। मेले में ये मुख्य रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए ले कर आये है ताकि इन्हें आम नागरिक भी खरीद सके।
उन्होंने बताया कि सरकार हसतशिल्पियों को बढ़ावा देने के लिए मात्र 9 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करा रही है ताकि हस्तशिल्पी अपने कारोबार को बढ़ा सकें। खुरजा की पोटरी पर 12.5 प्रतिशत टेक्स है जो कुछ ज्यादा है। इसे कम किया जाना चाहिये।
रूडा के उप महाप्रबन्धक दिनेश सेठी ने बताया कि मेले को जनता के मिल रहे समर्थन से मेले की बिक्री 15 लाख पंहुच गयी है। इससे हस्तशिल्पियों एवं दस्तकारों के चेहरों पर खुशी झलक रही है। टेराकोटा की कलाकृतियंा एवं बनारस की साडिय़ा भी महिलाओं की पसन्द बनती जा रही है।