जैन समाज के सैकड़ों लोगों ने किया संकल्प, 14 फरवरी को बेंगलुरु में भागवती दीक्षा लेने वाली उदयपुर की सुरभि बीकानेरिया का सकल जैन समाज ने किया अभिनंदन
उदयपुर। अगले एक वर्ष तक जैन समाज के सैकड़ों लोगों ने शादी ब्याह के खाने में 21 से अधिक आइटम बनाने पर खाना नहीं खाने का संकल्प जताते हुए दीक्षा लेने वाली मुमुक्षु सुरभि बीकानेरिया का अभिनंदन किया। यह संकल्प बुधवार को सकल जैन समाज की ओर से विज्ञान समिति तकं बेंगलुरु में आगामी 14 फरवरी को जैन भागवती दीक्षा लेने वाली उदयपुर की युवती सुरभि बीकानेरिया के अभिनंदन समारोह में तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ संत मुनि राकेश कुमार के आह्वान पर लिया।
जैन समाज के किसी भी पंथ में दीक्षा लेने वालों का बहुमान करने के उदयपुर महावीर जैन परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत के निर्णय की सराहना करते हुए राकेश मुनि ने कहा कि दीक्षा लेना यानी परिवार छोड़ना नहीं बल्कि अपने परिवार को बड़ा करना है। उसमें अपकाय, पृथ्वीकाय सहित सभी जीव-जंतु उसके परिवार में शामिल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि येन केन प्रकारेण पैसा कमाना और फिर उसका दुरुपयोग करना बिलकुल गलत है। उन्होंने कहा कि मुमुक्षुत्व तीन दुर्लभ में से एक है।
महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस घोर भौतिकवादी युग में मुमुक्षु का भाव आना शुभ कर्मों का उदय है। वैध-अवैध तरीके से धनोपार्जन करने के इस युग में वैराग्य भावना के साथ दीक्षा लेना हमारे लिए भी सौभाग्य की बात है। इस कठिन पथ को सुरभि ने स्वीकार किया और उन्हें अपने पथ पर निरंतर सफलता मिले, ऐसी शुभकामनाएं हैं। जो मार्ग उन्होंने चुना, वह समाज के लिए भी प्रेरणादायक है। हम दीक्षा भले ही न ले सकें लेकिन उनके बताए रास्ते पर कुछ कदम भी चल पाएं तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा।
मुमुक्षु सुरभि बीकानेरिया ने कहा कि यह अभिनंदन मेरा नहीं बल्कि जिन शासन, वीतरागता का है। दुर्लभ मानव जीवन स्वीकार कर अब अध्यात्म पथ पर चलना है। आत्मरत साधना में रहकर मुनिवृंदों के सान्निध्य में अग्रसर रहूं, यही कामना है। आशीर्वाद दें कि मैं अपने संयम पथ पर बढ़ सकूं।
सकल जैन समाज के तहत महावीर जैन परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत ने कहा कि सुरभि के दीक्षा लेने में उनके माता-पिता चंद्रा-लक्ष्मीलाल बीकानेरिया के साथ कहीं न कहीं उनके नाना फतहलाल जैन, नानी मोहनदेवी और मामा निर्मल जैन का भी योगदान है। साधु न होते हुए भी साधु जीवन व्यतीत करने वाले फतहलाल जैन, साप्ताहिक या पाक्षिक रूप से गुरु दर्शन करने वाले मामा निर्मल जैन के ही संस्कार हैं कि वे उस पथ पर अग्रसर हुई। उन्होंने कहा कि मेवाड़ और विशेषकर उदयपुर में तो जैन शासन को दीप्तिमान करने वाले साधु-संतों के सामाजिक अभिनंदन की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में दीक्षा लेने वाले मुमुक्षु का महावीर जैन परिषद सामाजिक अभिनंदन करेगी।
मुनि सुधाकर ने कहा कि संयम पर बात करना बहुत सरल है लेकिन संयम पथ अपनाना कठिन है। शांति हमें भौतिकवाद में नहीं बल्कि अध्यात्मवाद में मिलेगी। अध्यात्मवाद ग्रहण करना पड़ेगा। सुरभि को बहुत आध्यात्मिक मंगलकामना कि वह संयम पथ अपना रही है, जीवन भर आगे बढ़ती रहे। मुनि यशवंत कुमार नेकहा कि लकीर पर तो लोग चलते हैं लेकिन लकीर से हटकर चलने वाले विरले ही होते हैं। सुरभि भी उनमें से एक है। मुनि दीप कुमार, मुनि हर्षलाल ने भी विचार व्यक्त किए।
शहर भर के विभिन्न समाजों से आए ओसवाल सभा के अध्यक्ष दिलीप सुराणा, सेक्टर 11 के कन्हैयालाल नलवाया, कांतिलाल जैन, डॉ. देव कोठारी, अनिल नाहर, गणेश डागलिया ने भी विचार व्यक्त करते हुए सुरभि को शुभकामनाएं दीं। समाज के रमेश बारोला, शंभू जैन, सुषमा इंटोदिया, प्रमिला दलाल, धीरेन्द्र मेहता, विनोद माण्डोत, श्याम नागौरी, सुरेश नाहर, अभय धींग, जीवनसिंह करणपुरिया सहित सैकड़ों लोगों ने सुरभि का उपरणा ओढ़ा अभिनंदन किया।
परिषद की ओर से सुरभि के माता-पिता चन्द्रा-लक्ष्मीलाल बीकानेरिया का उपरणा ओढ़ा कर अभिनंदन किया गया। उसके बाद सुरभि को तिलक लगा, माल्यार्पण कर, शॉल एवं उपरणा ओढ़ा, खोल भराई गई और अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। अभिनंदन पत्र पर जैन जागृति सेंटर, श्री महावीर युवा मंच संस्थान और महावीर जैन परिषद की ओर से भावनाएं अंकित की गईं।
संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया। आभार विज्ञान समिति के सचिव केएल तोतावत ने व्यक्त किया। मंगलाचरण विजयलक्ष्मी गलुण्डिया एवं समूह ने किया। दीक्षार्थी मुमुक्षु सुरभि का परिचय डॉ. सुभाष कोठारी ने दिया। जैन जागृति सेंटर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक सिंघवी ने अभिनंदन पत्र का वाचन करते हुए कहा कि पत्र का वाचन करना ही खुद को गौरवान्वित महसूस कराता है।