सुनने में असमर्थ अनाथ बच्चे का समाज वालों ने करवाया ऑपरेशन
उदयपुर। 14 वर्षीय सुनील पाटीदार जब 5 वर्ष की उम्र में अनाथ हुआ तो मस्तिष्क इंफेक्शन की वजह से उसकी सुनने की क्षमता भी चली गई। डूंगरपुर के हथाई गांव निवासी सुनील को बचपन से ही गांव के पाटीदार समाज ने पाला और पढ़ाया लिखाया।
जब सुनील की बहरेपन की समस्या के इलाज की बात आई तो भी समाज पीछे नहीं हटा और कई अस्पतालों के चक्कर काटे जहाँ 12 से 15 लाख का खर्चा बताया। कई प्रयासों के बाद समाज के ही डॉ. प्रकाश डांगी से सम्पर्क हुआ तो उनकी सहायता से बेदला स्थित मेवाड़ हॉस्पीटल में सुनील का कॉकलियर इम्पलांट का डॉ. छगन डाँगी (नाक-कान- गला रोग विशेषज्ञ) ने 12 मार्च को सफल ऑपरेशन किया।
मेवाड़ हॉस्पीटल के डॉयरेक्टर डॉ. मनीष छापरवाल की सहायता से सर्जरी में केवल इंम्पलांट का 5.5 लाख का खर्चा आया। जो पाटीदार समाज के लोगों के सहयोग से एकत्र हो सका और सर्जरी सम्भव हो पाई।
मेवाड़ हॉस्पीटल के डॉ. छगन डाँगी ने बताया कि इंम्पलांट के दो भाग होते है। एक भाग को कान की हड्डी के अन्दर कॉकलियर हड्डी के अन्दर कृत्रिम कॉकलियर इंम्पलांट स्थापित किया जाता है] और दूसरे भाग को 3 हफ्ते बाद कान के पीछे लगाया जाएगा जिससे मरीज पूर्णतः सुन सकता है। यह दक्षिण राजस्थान का पहला कॉकलियर इंम्पलांटेशन हैं जो पोस्ट लिंग्वलडेफनेस का केस (Post Lingual Hearing Loss) है।