पूर्णतया अंधता उन्मूलन पर रहेगा मुख्य फोकस,अब तक किए 45 हजार नि:शुल्क ऑपरेशन
उदयपुर। महात्मा भूरी बाई की प्रेरणा से निजी चिकित्सालय से नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन के रूप में काम कर रहे अलख नयन मंदिर के प्रतापनगर स्थित नए परिसर का उद्घाटन 17 मार्च को होगा। अतिथि के रूप में पूज्य संत मोरारी बापू का सान्निध्य प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के भी कार्यक्रम में आने की संभावना है।
आज यहां पत्रकारों से बातचीत में संस्थान के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल.एस. झाला ने बताया कि वर्तमान में दुर्गा नर्सरी रोड स्थित परिसर में करीब 150 मरीजों की ओपीडी तथा 25 से 30 ऑपरेशन प्रतिदिन रहते थे इसी परिसर में प्रतिदिन रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उसे बढ़ाकर 500 मरीजों की ओपीडी तथा 100 ऑपरेशन प्रतिदिन करने के लक्ष्य के मद्देनजर प्रतापनगर स्थित परिसर का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में हम सालाना 7 से 8 हजार ऑपरेशन कर रहे हैं। जिसमें 60 प्रतिशत नि:शुल्क ऑपेरशन किये जाते है। हमारा उद्देश्य है कि आने वाले समय में सालाना 20 हजार से अधिक मरीजों का उपचार हो ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी आंखों के कारण कभी लाचार न बने। बाकी 40 से 50 प्रतिशत सक्षम लोगों एवं दानदाताओं से प्राप्त राशि से हम हॉस्पिटल संचालित कर पाएंगे। विशेष बात यह कि ट्रस्ट के लगभग अधिकतम सदस्य यहां मानद रूप में कार्य कर रहे हैं। किसी का भी इसमेें प्रोफिट शेयर नहीं है। इसके लिए दानदाताओं से भी अपेक्षा रहती है ताकि मरीजों एवं अस्पताल के अपग्रेडेशन में सहायता मिल सके।
एक प्रश्न के जवाब में डॉ. झाला ने बताया कि निजी चिकित्सालय से एक वटवृक्ष का रूप लिए अलख नयन मंदिर की सफलता इसी से झलकती है कि केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रतिवर्ष दो पीजी (पोस्ट ग्रेज्यूएशन) कराने की स्वीकृति दी है। अब तक 12 चिकित्सक हमारे यहां से पीजी कर कर निकले हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य रिसर्च और एज्यूकेशन पर है। पूरा मेवाड़ अंधता से मुक्त हो सके। आदिवासी क्षेत्रों में अंधता निवारण, शिक्षित कर उन्हें जागरूक करना भी हमारा लक्ष्य है।
पहले एक फिजिशियन ही सभी तरह की बीमारियां देख लेते थे लेकिन समय के साथ परिवर्तन आया और बीमारियों के अलग अलग चिकित्सक बने। इसी प्रकार आंखों की भी छ: ब्रांच होती है। मोतिया बिंद, रेटिना, कोर्निया, काला पानी, बच्चों का भैंगापन के लिए विश्वस्तरीय मशीनें खरीद ली गई हैं। हमारा उद्देश्य है कि मरीज को उदयपुर छोडक़र बाहर कहीं जाने की जरूरत न पड़े। उसे हर तरह का उपचार यहीं उपलब्ध हो जाए। बारहवीं पास को हम डिप्लोमा इन आप्थेल्मिक टेक्निक्स कराते हैं। नए परिसर में बीएससी इन इन आप्थेल्मिक टेक्निक्स करवाना चाह रहे हैं।
संस्थान की डायरेक्टर डॉ. लक्ष्मी झाला ने बताया कि टीचिंग एण्ड ट्रेनिंग के तहत सर्विस में कार्यरत डॉक्टरों को भी यहां ट्रेनिंग दे चुके हैं। उन्हें आधुनिकतम तकनीक से परिचित कराना ताकि वे अपने क्षेत्र में सेवाएं दे सकें। पीपीपी मोड पर स्थापित इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान में दो ही संस्थान अधिकृत हैं। विदेशों में बच्चे पढ़ तो लेते हैं लेकिन वे व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए यहां आना चाहते हैं। मेडिकल कौंसिल से स्वीकृति प्राप्त होने पर यूएसए, यूरोप, आस्ट्रेलिया व अन्य देशों के बच्चे यहां आकर सीख सकेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रतापनगर स्थित नए परिसर में स्थानांतरित होने के बावजूद दुर्गा नर्सरी स्थित परिसर सिटी सेंटर के रूप् में कार्यरत रहेगा। आंखों की जांच तीन स्तर की होती है जिसमें पहली नॉर्मल जांच, चश्मे आदि होते हैं। दूसरे स्तर पर सर्जरी, मोतिया बिंद, काला पानी आदि का उपचार किया जाता है। तीसरे स्तर पर स्पेशल सर्जरी, अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग आदि होता है। हम अभी दूसरीे से उपर तथा तीसरे स्तर से कुछ नीचे कार्य कर रहे हैं। इसे मेडिकल भाषा में टर्शरी लेवल आई केयर सेंटर कहा जाता है।
डॉ. झाला ने बताया कि जो बिल्कुल अंधेपन का शिकार हो चुके हैं या लो विजन है उनके लिए भी रिहेलिबिटेशन सेंटर खोला जाएगा ताकि वे मुख्य धारा में काम कर सकें। अभी तक 74 हजार ऑपरेशन किए जा चुके हैं जो संख्या के आधार पर राजस्थान में निजी संस्था द्वारा अपने स्तर पर एक कीर्तिमान है। विशेष बात यह कि इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक यानी 45 हजार ऑपरेशन निशुल्क किए गए हैं। इसके अतिरिक्त आंखों के विभिन्न शिविरों में हम 3 लाख बच्चों की जांच कर चुके हैं। यही नहीं, 238 मरीजों के कॉर्नियल ट्रांसप्लांट कर चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अलख नयन का प्रतिनिधित्व रहता है। डॉ. झाला वर्ष में दो बार विदेशों में पत्रवाचन करने जाते हैं और वहां से नई नई अत्याधुनिक तकनीक लेकर आते हैं।