उदयपुर। भगत सिंह यदि आज जिन्दा होते तो साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, साम्प्रदायिकता से आजादी के साथ नकली राष्ट्रभक्तों से भी आजादी की बात कह रहे होते और नकली राष्ट्रभक्त भगत सिंह को फांसी पर चढ़ा रहे होते।
यह विचार शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव के 86वें शहादत दिवस के अवसर पर सेवाश्रम स्थित भगत सिंह के प्रतीमा स्थल पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में एस.एफ.आई. के पूर्व राज्य महासचिव अशोक पालीवाल ने व्यक्त किए। पालीवाल ने भगत सिंह को उदृत करते हुए कहा कि भगत सिंह के विचारों अनुसार राजनैतिक दासता की बेड़ियां समय समय पर उतार तोड़ी और फेंकी जा सकती है, लेकिन सांस्कृतिक अधीनता की बेडियों को तोड़ना अक्सर ज्यादा कठिन होता है। उन्होंने कहा कि आज देश में शासन करने वाली ताकतें संस्कृति का चोला पहन देश की जनता को गुलाम बना महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने का षड़यंत्र कर रही है और जो भी जनता के जीवन से जुड़े मुद्दों को उठाता है, उन्हें देशद्रोही का सर्टिफिकेट बांट देश में नफरत और विभाजन का काम कर रहे हैं।
श्रद्धांजलि सभा में नौजवान सभा के पूर्व जिला महासचिव बिरदीलाल छानवाल ने कहा कि भगत सिंह ने धार्मिक कट्टरता को देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बताते हुए रूढीवादी शक्तियों को मानव समाज को गलत रास्ते पर ले जाने वाला बताया। ऐसे में नौजवानों को भगत सिंह के विचारों को अपनाते हुए धार्मिक कट्टरता व रूढीवादी शक्तियों के विरूद्ध तार्किक एवं वैज्ञानिक विचारों के आधार पर समतावादी समाज बनाने के विचार को आगे बढाने का काम करना होगा।
सभा में नौजवान सभा के पूर्व राज्य उपाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि भगत सिंह ने किसी भी अपराध के मुकाबले गरीबी और दासता से अधिक नफरत करना बताया था। उन्होंने क्रांति शब्द को प्रगति के लिए परिवर्तन की भावना एवं आकांक्षा बताते हुए कहा कि लोग साधारणतया जीवन की परम्परागत दशाओं से चिपक जाते हैं और परिवर्तन की कल्पना मात्र से ही कांपने लगते हैं। इसलिए उन्होंने ’’इन्कलाब जिन्दाबाद‘‘ के नारे को आजादी के आंदोलन में घर घर तक पहुंचाया, जो नारा आज भी हर आंदोलन में आंदोलनकारियों में जोश पैदा करने के लिए प्रमुखता से लगाया जाता है।
सभा में भाकपा (माले) के डॉ. चन्द्र देव ओला ने कहा कि मौजूदा शासन द्वारा जेएनयू के बहाने छात्रों के राजनीति करने के बारे में सवाल उठाये जा रहे हैं, जबकि भगत सिंह छात्रों को राजनीति में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के साथ छात्रों को मजदूरों व किसानों के बीच काम करने का आव्हान किया था। इससे स्पष्ट है कि आरएसएस भाजपा द्वारा भगत सिंह के नाम को मात्र राजनैतिक मोहरा बना जनता को भ्रमित किया जा रहा है। आरएसएस भाजपा वाले यदि वास्तव में भगत सिंह के विचारों का सम्मान करते तो वे एक पल भी इन संगठनों में नहीं रहते।
सभा को सम्बोधित करते हुए माकपा जिला सचिव मोहनलाल खोखावत ने कहा कि छात्रों, किसानों, मजदूरों, नौजवानों, कर्मचारियों, व्यापारियों को राजनीति से दूर रहने की सलाह देने वाले मोदी को भी यह सलाह दी कि उन्हें जनता की सेवा के लिए चुना गया, लेकिन वो मात्र पूंजीपति घरानों की ही सेवा को अपना धर्म मान जनता को खुलेआम लूटने का काम कर रहे हैं।
श्रद्धांजलि सभा में गुमान सिंह राव, प्रताप सिंह देवड़ा, हमेर सिंह, पार्षद राजेन्द्र वसीटा, फारूख कुरैशी, सौरभ नरूका, दामोदर कुमावत, विजेन्द्र सिंह चौधरी, हरीश सुहालका, सी.के.वर्मा, जावेद खान, हरलाल लखारा, शमशेर खान, हबीब जमा खान, केशुलाल जैन, आदि ने भी विचार रखे। संचालन ललित मीणा ने किया।