उदयपुर। शरीर के बाहर से भी कही ज्यादा शरीर के भीतर की सुन्दरता जरूरी है यह बात योग प्रशिक्षक गोपाल डांगी ने नगर निगम आयुर्वेद विभाग व स्वमसेवी संगठनों के साझे में योग आरोग्यम् शिविर धानमंडी सामुदायिक भवन में कही।
उन्होंने कहा कि शरीर बाहर से ज्यादा सुन्दर होने व ज्यादा उनकी तरफ ध्यान देने से अहम् भाव उत्पन्न होता है परन्तु शरीर के भीतर की सुन्दरता हमें आदर्शवादी, सेवाभावी, समतावादी, नम्रतावादी बनाती है शरीर को बाहर से सुन्दर दिखाने के लिए महगे महगे कॉस्मेटिक चीजों की आवश्यकता होती है परन्तु भीतर से सुन्दर बनाने के लिए किसी भी कीमत की कोई भी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती केवल सकारात्मक विचारों की आवश्यकता होती है और वो योग प्राणायाम, नियमित दिनचर्या, व सही खान पान से सम्भव है। इसलिए हर इन्सान को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर नियमित योग प्राणायाम व आसनों का अभ्यास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने देवालय रुपी शरीर को दवाखाना न बनायें और नियमित योग करें। सात्विक भोजन करे। शरीर को भीतर से स्वस्थ बनाए रखने के लिए भस्त्रिका, कपाल भाति, बाह्य प्राणायाम, अग्निसार क्रिया, उज्जाई प्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगित, प्रणव आदि प्राणायाम का अभ्यास करवाया साथ ही तनाव डिप्रेशन अनिद्रा माइग्रेन व ध्यान को केन्द्रित करने के लिए वृक्षासन, ध्रुवासन, शशकासन, व सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया।