150 करोड़ के टर्नओवर वाली सीए फर्म को ठेका देने का टेन्डर
देश के सभी चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स में भारी रोष
उदयपुर। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा प्रतिवर्ष अपनी शाखाओं की कानकरेन्ट ऑडिट रिजर्व बैंक के नियमानुसार भारतीय सीए फर्मो से कराई जाती है, लेकिन पहली बार इस सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने अपनी कानकरेन्ट ऑडिट वाली देश की लगभग 478 शाखाओं ऑडिट कराने के लिए हाल ही में एक ऐसा टेन्डर निकाला जिससे रखी गई शर्तों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि देश की सभी सीए फर्में इस बैंक की कानकरेन्ट ऑडिट वाली शाखाओं की ऑडिट करने में सक्षम नहीं है।
बैंक की ऐसी शर्तों से देश भर के चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट़्स में जबरदस्त रोष है। कुछ सीए तो इसके विरूद्ध कोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी तक कर चुके हैं। हाल ही में देश के लखनऊ स्थित सीए संगठन ने केन्द्रीय गृहमंत्री को बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम के विरूद्ध ज्ञापन भी सौंपा।
बैंक ने टेन्डर में उन सीए फर्मों से आवेदन आमंत्रित किये हैं जिनकी ऑडिट सर्विस से होने वाली आय 150 करोड़ से अधिक है। इस शर्त के मुताबिक जानकारों के अनुसार देश में एक भी सीए फर्म नहीं है। इससे यही लगता है कि बैंक ने देश की सीए फर्मों को ऑडिट के योग्य ही नहीं माना है, यानि इसमें अब बहुराष्ट्रीय सीए कम्पनियों का पदार्पण होना तय है।
बैंक प्रबन्धन ने कुछ विशेष बहुराष्ट्रीय सीए फर्मो को लाभ दिलाने के उद्देश्य से इस प्रकार की शर्त को टेन्डर में जोड़ा है, जबकि अब तक यही होता आया है कि बैंक रोटेशन प्रणाली के अनुसार सीए फर्मों को बैंक की कानकरेन्ट ऑडिट वाली शाखाओं की ऑडिट करने के लिए एक वर्ष का अनुबन्ध करती है और उसकी सेवा वर्ष पर्यन्त श्रेष्ठ पाये जाने पर अगले दो वर्ष के लिए नवीनीकरण करती रही है।
कानकरेन्ट ऑडिट का मुख्य उ्द्देश्य यही होता है कि बैंक की प्रतिदिन सतत् ऑडिट की जानी चाहिये जबकि टेन्डर दिये जाने वाली फर्म के पास न इतने संसाधन व सीए होंगे कि वह बैंक की दूरदराज स्थित 478 शाखाओं की ऑडिट कर सकें, इसके लिए वह फर्म ऑडिट को सबलेट करेगी।
इस वर्ष राजस्थान में बैंक की कानकरेन्ट ऑडिट वाली लगभग 130 शाखाओं में से बैंक ने लगभग 90 शाखाओं की ऑडिट करने वाली सीए फर्मों का मात्र दो माह के लिए नवीनीकरण किया है एवं शेष शाखाओं की ऑडिट करने वाली सीए फर्मो को ऑडिट से हटा ही दिया।
इसमें कोई सन्देह नहीं कि ऑडिटर की नियुक्ति करना बैंक का आंतरिक मामला है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने रमन्ना दयाराम विरूद्ध अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट ऑथरिटी तथा कस्तूरीलाल विरूद्ध जम्मू कश्मीर सरकार के मामले में निर्णय देते हुए कहा कि सरकार का हर निर्णय जनहित में होना चाहिये एवं बिना कारण स्पष्ट किये वह कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की भी अवहेलना की है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सरकार के लिए था और बैंक सरकारी होने के नाते वह भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के भीतर ही आता है।
चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट देवेन्द्र सोमानी ने बताया कि बैंक ने अपने निर्णय में परिवर्तन नहीं किया तो शीघ्र ही सीए न्यायालय में जनहित याचिका लगाने को मजबूर होंगे और इसकी काफी हद तक तैयारी भी की जा चुकी है। पूर्व में भी सोमानी रिजर्व बैंक की संवैधानिक लेखा परीक्षा के नियमों में परिवर्तन एवं टेक्स ऑडिट दाखिल करेन की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए भी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुके है।
क्या है कानकरेन्ट ऑडिट- कानकरेन्ट ऑडिट के तहत सतत रूप से दैनिक आधार पर बैंकिंग कार्यों की जांच की जाती है, जिससे घोटालों एवं त्रुटियों का समय रहते पता लगाया जा सकें एवं सुधारात्मक कदम उठाये जा सकें। केवाईसी, डॉक्यूमेनटेशन, रेवेन्यू लीकेज, हाऊस कीपिंग आदि इसी के भाग है।