रोटरी एलिट का प्रयास
उदयपुर। विशेष किस्म के हाथ पाकर सात वर्षीय बालिका से लेकर 70 वर्षीय वृद्ध तक सभी दिव्यांगों के चेहरे पर खुशी लौट आई, जिसकी तलाश वे पिछले लम्बे समय से कर रहे थे। उनके चेहरे के हाव-भाव यह बता रहे थे कि वे भी अब दिव्यांग नहीं कहलायेंगे क्योंकि अब उनके एक नहीं दो-देा हाथ हो गये है। इस कृत्रिम हाथ से वे हर वो कार्य कर पायेंगे जो दो हाथ वाला सामान्य इंसान करता है।
यह खुशी दिलाई थी रोटरी क्लब एलिट, रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3052 तथा रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3040 के रोटरी क्लब इंदौर ने। जिनके साझे में रविवार को वासुपूज्य जिनदत्त सूरी धर्मशाला में कृत्रिम निशुल्क हाथ प्रत्यारोपण प्रशिक्षण व वितरण शिविर आयोजित किया गया था। शिविर का गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने अवलोकन किया तथा रोटरी क्लब एलिट द्वारा दिव्यांगों हेतु किये गए इस प्रयास की सराहना की तथा इस प्रकार के कार्य के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। स्वागत के दौरान कटारिया ने अपना उपरणा रोटरी क्लब के पदाधिकारियों को ओढ़ाते हुए कहा कि आज अभिनंदन का काम रोटरी एलिट ने किया है। जो अब तक एक हाथ नहीं होने से काम नहीं कर पाते थे, वे रोटरी एलिट के कारण अब काम कर पाएंगे।
रोटरी एलिट के अध्यक्ष मनीष गलुण्डिया ने बताया कि शिविर में सुबह 7.30 बजे से लोगों का आना शुरू हो गया। 8 बजे से बाहर से आए विशेषज्ञ अपने काम में लग गए। टोकन लेकर रजिस्ट्रेशन, फिर कृत्रिम हाथ का प्रत्यारोपण और खाना खाने के बाद प्रमाण पत्र लेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। शिविर के लिए हालांकि प्री रजिस्ट्रेशन के आधार पर आस्ट्रेलिया निर्मित 250 कृत्रिम हाथ मंगवाए गए थे। दोपहर दो बजे तक रजिस्ट्रेशन 280 पार कर चुके थे। वेटिंग में रहे 30 जनों को शीघ्र ही शिविर लगाकर कृत्रिम हाथ प्रदान किए जाएंगे।
अखिल भारतीय परियोजना निदेशक तरूण मिश्रा ने बताया कि कृत्रिम हाथ लगाने के बाद दिव्यांग न केवल 12 किलो तक का भार उठा सकेगा वरन् वह दुपहिया या चौपहिया वाहन भी चला पायेगा। उन्होंने बताया कि शिविर में मूलत: बिहार हाल कच्छ निवासी एक दिव्यांग को शिविर के बारे में पता चलने पर उसने मार्च में पंजीकरण कराया और आज हाथ लगने पहुंचा हाथ लगाने के बाद उसके चेहरे पर अपार खुशी झलक रही थी। इसी प्रकार पाली जिले के एक गांव से एक वृद्ध ने जब हाथ लगवाया तो उसने कहा कि यदि ऐसा कार्य पूर्व में ही आयोजित हो जाता तो वह अब तक एक हाथ से ही काम नहीं चलाता।
क्लब सचिव रमेश मोदी ने बताया कि प्रत्येक मरीज के साथ एक अटेण्डेंट को प्रवेश दिया गया। इन मरीजों में किसी का जन्म से तो किसी का दुर्घटना में या किसी अन्य बीमारी के कारण हाथ काटना पड़ गया। यहां प्रत्येक मरीज के साथ क्लब की ओर से एक वालंटियर की नियुक्ति की गई। क्लब के सदस्यों, उनकी पत्नियों के अतिरिक्त 14 साल की बालिकाओं ने भी वालंटियर के रूप में सेवा दी। इन सभी वॉलियंटर ने हाथ लगवाने के बाद दिव्यंागों को हाथ के उपयोग के बारें में जानकारी दी।
विशेष किस्म का है हाथ- परियोजना निदेशक प्रमोद राठी ने बताया कि अमेरिका एलन मीडोज प्रोस्थेटिक हैंड फाउण्डेशन द्वारा निर्मित ये कृत्रिम हाथ नि:शुल्क लगाये जाऐंगे। इन हाथ की विशेषता यह है कि ये हाथ से वापस निकालने में अत्यन्त ही सहज, सरल मजबूत एवं टिकाऊ है। लगभग 400 ग्राम वजन वाले इन कृत्रिम हाथों से न केवल 10 से 12 किलोग्राम तक का वजन उठाया जा सकता है वरन् हाथ में विशेष रूप से तैयार की गई दो अंगुलियों को हिलाया जा सकता है जबकि शेष तीन अंगुलिया स्थायी रहती है ताकि हिलने वाली अंगुली से कोई आवश्यक काम किये जा सकें।
दिव्यांग से भरवाया अंगदान : नेत्रदान एवं रक्तदान का संकल्प पत्र-गलुण्डिया ने बताया कि शिविर में भाग लेने वाले सभी दिव्यंागों से वर्ष में कम से कम एक बार रक्तदान अवश्य करने तथा मृत्योपरान्त नेत्रदान एंव अंगदान करने का संकल्प पत्र भरवाया गया।
शिविर का सुबह गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक सहित रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3052 के प्रांतपाल प्रद्युम्न पाटनी, रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3040 के प्रांतपाल सुजीव गुप्ता, प्रान्तपाल निर्वाचित रमेश चौधरी आदि ने अवलोकन किया और शिविर के क्रिया-कलापों की जानकारी लेते हुए मरीजों से बातचीत की। अतिथियों का उपरणा ओढ़ा अभिनंदन किया गया। शिविर में मुंबई, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों तथा राजस्थान के विभिन्न जिलों से आये मरीजों को निशुल्क हाथ लगाए गए।