उदयपुर। यदि कॉलेज शिक्षा से युवाओं में प्रोफेशनल्स स्किल्स एवं इनोवेटिव सोच का विकास नहीं हो पाता है तो क्या सभी कॉलेजों को बंद कर देना चाहिये। अमरीका की सिलीकॉन वैली, नासा तथा यूरोपीय देशों में जो भारतीय वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर्स, सीईओ कार्यरत हैं। उन्होंने यहीं से शिक्षा प्राप्त की है। देश की शिक्षा प्रणाली को दोष देना सही नहीं है। ये विचार यूसीसीआई में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में उभर कर सामने आये।
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री तथा इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मटेरियल ऑफ मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में चेम्बर भवन के अरावली सभागार में मेटेरियल्स मैनेजमेंट डे का समारोह पूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पेसिफिक यूनिवर्सिटी के वाईस चान्सलर प्रो. बी.पी. शर्मा मुख्य अतिथि थे। जेके टायर कांकरोली के वाईस प्रेसिडेंट एलपी श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि थे।
मुख्य अतिथि प्रो. शर्मा ने उद्योग एवं शैक्षणिक संस्थानों के मध्य समन्वय स्थापित किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों, पढाने की विधाओं तथा युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के तरीकों में लगातार सुधार किये जाने की जरूरत पर बल दिया।
यूसीसीआई के पूर्वाध्यक्ष केएस मोगरा, डॉ. मनीषा अग्रवाल ने भी विचार व्यटक्तप किए। वाद विवाद के दौरान उदयपुर के विभिन्न इंजिनियरिंग एवं मैनेजमेंट कॉलेजों के विद्यार्थी ने हिस्सा लिया तथा भारत में कॉलेज शिक्षा प्रोफेशनल्स स्किल्स एवं इनोवेटिव सोच विकसित कर पाने में सक्षम नहीं है विषय के पक्ष-विपक्ष में विचार व्यसक्त किए। विशिष्ट अतिथि जेके टायर के वाईस प्रेसिडेंट एलपी श्रीवास्तव ने बिट्स पिलानी के अपने कॉलेज जीवन के अनुभव साझा किए। वाद विवाद की जूरी बीएन कॉलेज के पर्यटन विभाग की व्याख्याता डॉ. रूचि सिंह ने छात्र छात्राओं से कॉलेज शिक्षा में मात्र अच्छे अंक लाने पर फोकस करने के बजाय ज्यादा से ज्यादा सीखने की अपील की। आईआईएमएम के सचिव राजेश जैन ने संस्थान की सदस्यता लिये जाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी।