उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय सूत्रधार कार्यशाला बुधवार को सम्पन्न हुई, जिसमें लोक, शास्त्रीय और नाट्य कलाओं को रंगमंच पर दर्शकों तक परोसने की शैली का प्रशिक्षण दिया गया।
वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे के समन्वयन में आयोजित इस कार्यशाला में 25 युवाओं को रंगमंच पर एंकरिंग करने का व्यावहारिक, तकनीकी वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी विभिन्न सत्रों में दी गई। कार्यशाला में विलास जानवे ने प्रतिभागियों को एंकरिंग से जुड़े विभिन्न पक्षों से अवगत करवाया तथा उन्हें दर्शकों से संवाद स्थापित करने के गुर सिखाये व लोक कला, शास्त्रीय कला, नाट्य कला के प्रभावी व रोचक प्रस्तुतिकरण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यशाला में रंगकर्मी दीपक जोशी ने वॉइस कल्चर की जानकारी दी तथा विभिन्न तकनीक का ज्ञान करवाया।
कार्यशाला में आकाशवाणी से सेवानिवृत्त डॉ. इन्द्रप्रकाश श्रीमाली ने एंकरिंग में गाम्भीर्य के साथ-साथ भाषानुसार शब्दोच्चारण व स्वरों के बदलाव व उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला। बीएन संस्थान की अनितासिंह राठौड़ ने कार्यशाला में एंकरिंग से जुड़े विभिन्न पक्षों की जानकारी दी व उसकी बारीकियों व महत्ता को उदृत किया। समापन अवसर पर केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह ने प्रतिभागियों को कार्यशाला से लाभ उठाने तथा स्वयं को एक अत्कृष्ट प्रस्तोता के रूप में प्रस्तुत करने का आव्हान किया। प्रतिभागियों ने अपने-अपने अंदाज में उद्घोषणाएं करके अपना हुनर दिखाया।