दो दिवसीय स्मार्ट सिटी विज़न डॉक्यूमेन्ट-2025 सेमिनार
उदयपुर। जोधपुर विद्युत वितरण निगम के पूर्व प्रबन्ध निदेशक डॉ. बीएल खमेसरा ने कहा कि स्मार्ट सिटी में बिजली की महत्वपूर्ण भूमिका है। निरन्तर बिजली मिलने से चारों ओर विकास की धार प्रवाह होगी। इसके लिए शहर में 15 जीएसएस यानि ग्रिड सब स्टेशन की आवश्कयता होगी। साथ ही यदि हर घर पर 3 किलोवाट के सोलर पैनल लगा दिये जाएं तो शहर में बिजली की समस्या ही समाप्त होगी जाएगी।
वे विज्ञान समिति, रोटरी क्लब उदयपुर, महावीर इन्टरनेशनल एवं प्रबुद्ध चिन्तन प्रकोष्ठो के संयुक्त तत्वावधान में अशोकनगर स्थित विज्ञान समिति में आयोजित दो दिवसीय स्मार्ट सिटी विज़न डॉक्यूमेन्ट-2025 सेमिनार के दूसरे एवं अंतिम दिन निर्बाध विद्युत आपूर्ति एवं सोलर उर्जा का उपयोग विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शहर में मुखर्जी चौक, फतहस्कूल, गुलाबबाग-बेलघर, चांदपोल स्थित संस्कृत कॉलेज, दूध तलाई, हाथीपोल, मल्लातलाई, बेदला, गीतांजलि हॉस्पिटल, केशवनगर, बलीचा हाउसिंग बोर्ड कोलोनी तथा आईएमएम स्थानों पर जीएसएस लगाने होंगे। शहर में 15 प्रतिशत सोलर एनर्जी से बिजली उत्पादन का लक्य्एस रखा है। शहर में सोलर शवदाह गृह को विकसित करना होगा ताकि इसमें काम आने वाले अन्य संसाधनों का कम उपयोग हो सकें।
डॉ. खमेसरा ने बताया कि निकट भविष्य में कार्बन नैनो ट्यूब से बिजली विकसित करनी होगी। यह सबसे आधुनिकतम प्रणाली है। प्रति घर यदि 3 किलोवॉट का करीब 2 लाख की लागत का सोलर पैनल लगाया जाए तो उससे साढ़े चार हजार यूनिट बिजली प्राप्त होगी। यह शहर के विकास में महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रथम सत्र के चेयरमेन सार्वजनिक निर्माण विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियन्ता जी.एस.टांक ने बताया कि शहर को स्मार्ट सिटी में बदलने के लिए यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने हेतु वर्ष 2025 तक शहर की संभावित 8 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर में जरूरत फ्लाईओवर, अन्डरपास एवं रोड़ नेटवर्क का विकास करना होगा। पिछोला, गणगौरघाट पर फ्लोटिंग प्लेटफार्म, अंबामाता पुलिया पर दुपहिया वाहनों के आवागमन के लिए सिंगल पोल पर 4 फीट चौड़ा पुल तथा ठोकर चौराहे पर अन्डरपास बनाना होगा।
स्वास्थ्य सुविधाएं एवं मेडीकल टरिज्म पर बोलते हुए आरएनटी मेडकील कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एल.के.भटनागर ने कहा कि वर्ष 2025 तक शहर में टेलिमेडीसिन की सुविधाओं का विस्तार करना होगा ताकि मरीज को त्वरित उपचार मिल सके। शहर में प्रत्येक 15 हजार व्यक्ति पर एक डिस्पेन्सरी तथा 50 हजार पर एक डायग्नेास्टिक सेन्टर खोलना होगा। पब्लिक हेल्थ सेक्टर के पास पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं होने के कारण मरीज प्राइवेट सेक्टर के पास जा रहे है। जिसका क्रमश: अनुपात 30:70 है। जनता को स्मार्टसिटी में नि:शुल्क हेल्थ पैकेज उपलब्ध कराने होंगे। गांवों में रह रही 70 प्रतिशत जनता मात्र उन 2 चिकित्सकों के भरोसे ही जी रही है, जो वहां जाना चाहते है। डॉ. आईएल जैन ने चिकित्सा क्षेत्र में अपनायी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सुविधाओं एवं उनकी जरूरतों पर प्रकाश डाला।
पायरोटेक इन्डस्ट्रीज के कुलदीपसिंह राठौड़ ने स्मार्ट विकास की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए फिल्मसिटी, वाटर स्पोर्ट्स, सांस्कृतिक मेले, शाही शादियां को शहर के लिए विकासशील उद्योग बताया। सार्वजनिक निर्माण विभाग के सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता जेएस दवे ने कहा कि पिछोला, सिटी पैलेस, जगदीश चौक में पार्किंग की सुविधाएं विकसित की जानी चाहिये। पार्किंग सुविधाएं विकसित कर शहर को स्मार्ट बना सकते है।
महाराणा प्रताप प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. एलएल धाकड़ ने कहा कि यदि शहर में स्थापित अनेक सरकारी कार्यालयों को यहंा से हटाकर उनके लिए आरक्षित भूमि पर स्थानान्तरित कर दिया जाए तो शहर की काफी समस्याएं स्वत: हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर के विकास के लिए फ्लाईओवर या एलिवेटड रोड़ की जरूरत नहीं है। यातायात समस्या का समाधान रोड़ नेटवर्क के जरिये निकाला जा सकता है।
प्रो. अरूण चतुर्वेदी ने स्मार्ट सिटी के विकास में नागरिकों की भूमिका पर बोलते हुए विज्ञान समिति के प्रयास की सराहना की और नागरिक जन सहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार व अधिकारियों की रूचि महंगी योजनाएं चलाने में रहती है जबकि जनता की ठीक इसके विपरीत।
शहर में भी लागू हो ओड-ईवन फार्मुला : जेएस पोखरना ने कहा कि शहर में सर्वाधिक प्रदूषण चुनिन्दा चार पहिया वाहनों से होता है। शहर में लगभग दो लाख साठ हजार मोटरसाईकिलें, 36 हजार कारें, 7700 जीपें, 2800 टेम्पों, 3900 टेक्सियां तथा 2600 के करीब बसें संचालित हैं। इन सभी को देखते हुए शहर में दिल्ली की तरह ही ओड-ईवन फार्मुला लागू किया जाना चाहिये। साथ ही सडक़ पर तेज दौड़ती मोटरसाइकिलों के लिए अलग लेन बनायी जानी चाहिये।
जीपी सोनी ने कहा कि नगरीय विकास में सक्रिय जनसहभागिता को सुनिश्चित किया जाना चाहिये। सुरक्षा एवं सुरक्षा के उपाय पर बोलते हुए राजीव मेहता ने बताया कि शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में बदलना है तो सबसे पहले पूरे शहर को वाई-फाई से जोडऩा होगा। इसके बिना सुरक्षा उपयों का संचालन करना संभव नहीं है। सीटीएई कॉलेज के उर्जा नवीनीकरण विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने सोलिड वेस्ट मेनेजमेन्ट पर बोलते हुए कहा कि सोलिड वस्सट एक रिसोर्स है जिसे चार प्रकार से डवलप किया जा सकता है। वर्ष 2000 में बने सोलिड वेसट मेनेजमेन्ट के नियमों के तहत 15 वर्ष बाद आज भी कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया है। डॉ. पीके सिंह ने रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग पर बोलते हुए कहा कि रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग से हम अब तक मात्र 12 प्रतिशत ही उपयोग कर पा रहे हैं। इसके लिए जनता में जागरूकता लानी होगी। इसका पूर्ण उपयोग होने लग जाएगा तो अन्डरग्राउण्ड वाटर पोल्यूशन की भी समस्या समाप्त हो जाएगी। बीएसएनएल के सेवानिवृत्त मंडल अभियन्ता आरके खोखावत ने वर्ष 2018 तक पंचायत स्तर तक फाईबर केबल पंहुचाने का लक्ष्य रखा है ताकि ग्रामीण जनता भी ऑनलाईन प्रक्रिया से जुड़ सकें।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. एलएल धाकड़ ने कहा कि अंत में सभी ने एक रिजोल्यूशन पास किया कि इस दो दिवसीय सेमिनार से प्राप्त सुझावों को तैयार कर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, जिला कलेक्टर, नगर निगम मेयर को प्रदान किया जाएगा ताकि स्मार्ट सिटी के विकास में वे कारगर साबित हो सकें। इस अवसर पर बीएलमंत्री, केपी तलेसरा, प्रकाश तातेड़ सहित अनेक सदस्य मौजूद थे।