भारतीय जैन संघटना का बिजनेस डवलपमेंट पर सेमिनार
उदयपुर। अत्याधुनिक समय में तकनीक ने उत्पादक को सीधे खरीदार तक पहुंचा दिया है। बीच के डिस्ट्रीब्यूशन चैनल को खत्म कर दिया। यही कारण है कि चुनौती अब स्थानीय से हटकर वैष्विक हो गई है। अगर समय के साथ चलना है तो इससे निपटने के लिए हमें तैयार होना होगा। साथ ही अपने बिजनेस की सक्सेस का मंत्र खुद से अधिक कोई नहीं जानता है।
ये विचार विश्वविख्यात मैनेजमेंट गुरु राकेश जैन ने व्यक्त किए। वे शनिवार शाम टाउनहाल स्थित सुखाड़िया रंगमंच के नवीन सभागार में भारतीय जैन संघटना के बैनर तले वैष्वीकरण के बदलते वातावरण में चुनौतियों का सामना करने के तरीकों पर व्यवसाय विकास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वैश्वीककरण का असर समाज के लिए अंतिम व्यक्ति तक पड़ता है। गांव में किसान जब होलसेलर को अपना माल बेचने जाता है तो उससे पूछता जरूर है कि कल मार्केट क्या रहा यानी शेयर मार्केट का क्या असर रहा। वो जानता है कि अगर मार्केट चढ़ा होगा तो उसे भाव अच्छा मिलेगा और मार्केट डाउन होगा तो उसे भाव कम मिलेगा। यही अंतिम व्यक्ति तक वैष्वीकरण का असर है। आज स्थिति यह हो गई है कि सफल भारतीय बिजनेसमैन को मल्टी नेशनल कंपनी खरीद रही है और हमारे बच्चे इन्हीं मल्टी नेशनल कंपनियों में पैकेज पाने के लिए लाइन लगाकर खड़े हैं। आज मेन इन इंडिया से अधिक माल मेक इन चाइना का बिक रहा है।
जैन ने कहा कि पहले क्रिकेट में टेस्ट मैच खेलते थे लेकिन अब समय 20-20 का आ गया है। क्या इस 20-20 के दौर में हम टेस्ट खेलने की सोच सकते हैं। यदि सोच रहे हैं तो निष्चय ही मार्केट से आउट हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें आत्मनिर्भर बनना होगा लेकिन वैष्विक चुनौती आपको इसका अवसर प्रदान नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि संघटना के विभिन्न प्रकल्पों के तहत देष भर में व्यापारियों को सक्षम बनाने के लिए बिजनेस सक्सेस के मंत्र देने के लिए इस सेमीनार का आयोजन है।
संघटना के प्रदेशाध्यक्ष सम्प्रति सिंघवी ने संघटना का परिचय देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को नए व्यवसाय के साथ किस तरह सामंजस्य बिठाया जाए, इस पर सेमिनार की इतने कम समय में तैयारी कर आयोजन करना उदयपुर चैप्टर के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत के ही वष की बात है। उदयपुर के इतने युवा प्रबुद्ध और बुद्धिजीवी वर्ग को यहां देखकर मैं बहुत हर्षित हूं।
अध्यक्षता करते हुए महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि घर में शोक के बावजूद श्री जैन यहां आए, यह एक बहुत बड़ा त्याग है। जो त्याग करता है, वह अधिक महान होता है। निष्चय ही यह सेमिनार युवाओं के लिए सहायक सिद्ध होगा।
संघटना के उदयपुर चैप्टर के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि संघटना के बारे में इससे अधिक क्या कहूं कि दो दिन पूर्व ही यहां आए मुख्य अतिथि मैनेजमेंट गुरु राकेष जैन के ताउजी के लड़के की मृत्यु हो गई और सेमिनार स्थगित होने की ओर था लेकिन जब उनसे बात की गई जो उन्होंने कहा कि होनी को कोई नहीं टाल सकता, मैं आउंगा। संघटना के व्यक्तियों का यही त्याग संघटना को बहुत उंचा बनाता है। दो माह पूर्व किषोरियों के लिए हुए तीन दिवसीय सेमिनार में उदयपुर जैन समाज की 37 बालिकाओं ने अंतिम दिन अभिभावकों के सामने जो उनके भाव उभरकर आए कि वे स्वयं को रोने से नहीं रोक पाई।
संघटना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य निरंजन जुआ ने कहा कि गत कुछ वर्षों में बिजनेस का स्वरूप बदला है। जैन समाज के सामने चुनौती के रूप में आ खड़ा हुआ है। जैन समाज विशेष इसलिए कि समुदाय का परंपरागत काम ही व्यवसाय है। बिजनेस में आने वाली चुनौतियों पर बिजनेस गुरु राकेश जैन ने जो टिप्स दी हैं, निश्च य ही उनसे आपको काफी फायदा होगा। कार्यक्रम में संघटना अजमेर चैप्टर के अध्यक्ष अरविंद जैन, उदयपुर चैप्टर के मंत्री अभिषेक संचेती, सेमिनार संयोजक श्याम नागौरी आदि ने विचार व्यक्त किए। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का मेवाड़ी पगड़ी, शॉल एवं उपरणा ओढ़ा स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत एवं अभिनंदन किया। संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया।