संग्रहकर्ताओं को सिल्वर मेडल की घोषणा
आहाड़ संग्रहालय में मनाया विश्व संग्रहालय दिवस
उदयपुर। उदयपुर संग्रहालय संस्कृति के वाहक हैं। वे हमें अपनी प्राचीन सभ्यता और परम्पराओं से ही अवगत नहीं कराते, बल्कि प्राचीन शिल्प, धातु, ज्योतिष, खगोल आदि के समृद्ध ज्ञान से भी परिचित कराते हैं। इनका संरक्षण जरूरी है, साथ ही नई पीढ़ी इन तक पहुंचे, इसके लिए भी प्रयास होने चाहिए।
यह बात बुधवार को विश्व संग्रहालय दिवस पर उदयपुर के आहाड़ संग्रहालय में आयोजित समारोह में राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर तथा लक्षप्रा फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. बी.पी. भटनागर ने कही। उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्कृति के लोग जब संग्रहालयों में मिलते हैं तो एक-दूसरे की परम्पराओं को समझ पाते हैं। इससे विश्व बंधुत्व की भावना एवं विश्व शांति को मजबूती मिलती है। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग उदयपुर वृत्त की ओर से टखमण व लक्षप्रा फाउंडेशन के सहयोग से विश्व संग्रहालय दिवस के उपलक्ष्य में हुई चित्रकला व रंगोली प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कार बांटे गए।
मेवाड़ में प्रचलित सिक्कों के इतिहास पर यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित सिक्का संग्राहक गोपाल पालीवाल ने विचार रखे। संग्रहकर्ता एमआर भण्डारी, भूपेन्द्र मलारा, डॉ. विष्णु माली आदि ने विचार रखे। पुरातत्व विभाग के उदयपुर वृत्त अधीक्षक मुबारिक हुसैन ने अतिथियों का स्वागत किया। साहित्य संस्थान के निदेशक डॉ. जीवन खरकवाल, पूर्व निदेशक डॉ. देव कोठारी, प्रो. महेश शर्मा, डॉ. रघुनाथ शर्मा, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी आदि अतिथि थे।
उद्घाटन : इस मौके पर संग्रहकर्ता गोपाल पालीवाल, भूपेन्द्र मलारा व एम.आर. भण्डारी के मेवाड़ तथा भारत सरकार के प्राचीन सिक्कों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए डॉ. बी.पी.भटनागर ने संग्रहकर्ताओं को लक्षप्रा फाउंडेशन से सिल्वर मैडल प्रदान करने की घोषणा की। यह प्रदर्शनी 15 दिन तक रहेगी।
सिक्कों को देख बच्चे अभिभूत : प्रदर्शनी में कुंभाकालीन, संग्रामसिंह कालीन, बनवीरकालीन, चौकोर, 19-20वीं शताब्दी के दोस्ती लंदन, पारम्परिक तांबे के फोंत्रीये, आधे आने, पाव आने सहित विभिन्न तरह के सिक्के शामिल हैं। इनके अलावा चित्तौड़ी, भीलोड़ी, स्वरूपशाही, भिण्डा (भीण्डर) और सलूम्बा (सलूम्बर) के सिक्के भी प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। इन्हें देख बच्चे अभिभूत हो उठे।