शिल्पग्राम में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेन्ट स्कल्पचर वर्कशॉप
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव स्थित ग्रामीण कला परिसर शिल्पग्राम में आयोजित म्यूजिकल इन्स्ट्रूमेन्ट स्कल्पचर वर्कशॉप का समापन शनिवार शाम हुआ। कार्यशाला में मूर्ति शिल्पकारों द्वारा सृजित कृतियाँ वातावरण में संगीत के सुरों का अहसास करवाती प्रतीत होती हैं। यू लगता है मानों इन कृतियों को केवल उन हाथों की तलाश है जो इन्हें बजा कर सुर निकाले।
शिल्पग्राम परिसर को कलात्मक रूप देने तथा मूर्ति शिल्प के जरिये लोगों को संगीत के वाद्य यंत्रों से रूबरू करवाने के ध्येय से आयोजित इस कार्यशाला में 9 मूर्तिकारों ने प्रस्तर खण्डों से विभिन्न वाद्य यंत्रों का सृजन किया है। करीब 20 दिन तक चली कार्यशाला में शिल्पकारों ने सफेद, ब्लैक, पिंक, येलो मार्बल पर उत्कीर्णन कर विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों का सृजन किया इनमें हारमोनियम, सारंगी, रूद्र वीणा, तबला, नगाड़ा, शहनाई, तुरही, संतूर, आदि की छटा देखते ही बनती है।
कार्यशाला के लिये आमंत्रित मूर्ति शिल्पकारों में छत्तीसगढ़ के चित्रसेन ठाकुर, रत्नागिरी के संदीप तम्हाणकर, मुंबई के रोहन पंवार, वडोदरा के रितेश राजपूत, शिव वर्मा, प्रेम कुमार डेविड, ओडीसा के चंदन सामल, जयपुर के हरिाम कुमावत, चंडीगढ़ के मनजीत मान शामिल हैं जिन्होंने सुंदर वाद्य यंत्र सृजित किये।
समापन पर केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह ने कलाकारों के प्रति अभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन कृतियों से शिल्पग्राम आने वाले पर्यटकों को भारत के प्रचलित वाद्य यंत्रों के स्वरूप को देखने व समझने का अवसर मिल सकेगा। कलाकार शिव वर्मा ने कहा कि पत्थर पर वाद्य यंत्रों का उत्कीर्णन हम सब के लिये एक नया अनुभव था तथा देश में संभवतया यह पहली कार्यशाला है जिसमें वाद्य यंत्रों का सृजन किया गया है। प्रेम कुमार ने कार्वर के प्रति आभार जतलाया। इस अवसर पर सुधांशु सिंह ने अतिथि शिल्पकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किये। समान समारोह का संयोजन ग्राफिक्स प्रभारी शूरवीर सिह द्वारा किया गया।