हिन्दुस्तान जिंक के खुशी अभियान की कार्यशाला
उदयपुर। बेड़वास में कच्ची बस्ती की एक बालिका कोमल ने, खुशी कार्यशाला में पढ़ने की इच्छा जताते हुए कहा कि सर, कैसे जाउं स्कूल श्मशान के रास्ते गुजरते हुए डर लगता है। रास्ता में कुआं भी है और हाईवे पार करते हुए भी डर लगता है। पढ़ने की बहुत इच्छा है पर हमारी बेड़वास बस्ती में स्कूल नहीं है। सर आप हमारा स्कूल खुलवा दो।
3 से 15 वर्ष तक के 150 से अधिक बच्चों ने खुशी कार्यशाला में भाग लिया जिसमें तकरीबन 70 प्रतिशत से अधिक बालिकाओं ने शिरकत की। शनिवार को बेडवास गांव के गुरूनानक कॉलोनी का नजा़रा आम दिनों से अलग था। बस्ती के करीब करीब सभी बच्चे बडी उत्सुकता से उन्हें मिलने वाली कॉपी किताब, रंगों और पेन्सिल का इंतजार कर रहे थे। मौका था वेदान्ता हिन्दुस्तान जिंक के अभियान खुशी की कार्यशाला का। जब करीब 150 बच्चों ने मिलकर भारत माता की जय और हम हमेशा सच बोलेंगे जैसे वाक्यों को ब्लेक बोर्ड पर देखकर कॉपी में उकेरा तो उनके परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ तौर पर दिखाई दी।
कोमल, रागिनी, नैना, निक्का, मनीषा, नन्दिनी और राघव जैसे अनेकों बच्चों ने खुशी कार्यशाला में शिक्षा से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की। उनका कहना था कि बेड़वास गांव के स्कूल तक पहुंचने के रास्ते में पडने वाला कुआं, श्मकशान घाट और हाईवे उनकी पढ़ाई की राह में रूकावट है।
दो दिन तक चली कार्यशाला में बच्चों के माता-पिता साथ ही बैठे रहे। अपने बच्चों को पढ़ता देख कुछ माता-पिता भावुक भी हो गये। तीन बच्चों के माता-पिता जूली बाई और उनके पति लाला ने कहा कि बस्ती के बच्चे भी पढना चाहतें हैं लेकिन रास्ते की दूरी के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे। कुछ बच्चे दूर स्कूल में पढाई कर रहे हैं परन्तु डर बना रहता है।
वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक ने खुशी अभियान के अंतर्गत बेड़वास की कच्ची बस्ती में बच्चों के साथ एक अदभुत कार्यशाला का आयोजन किया। 1 जुलाई को खुशी अभियान के अन्तर्गत कच्ची बस्ती में बच्चों की स्थिति का अवलोकन कर पाया कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं तथा आगे बढ़ना चाहते हैं। इनमें अधिकतर बच्चों मे स्वास्थ्य व सफाई के प्रति जागरूकता नहीं थी। खुशी ने तय किया कि इन बच्चों में जागरूकता लाई जाए तथा इस संदर्भ में 2 जुलाई को होने वाली कार्यषाला के बारे में भी अवगत कराया।
स्वास्थ्य व स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए बच्चों से यह वायदा लिया गया कि वो सभी अगले दिन नहा-धोकर, दांत अच्छी तरह साफ कर, बाल संवार कर और साफ कपड़े पहनकर आएंगे। स्वच्छता के लिए वेदांता खुशी की टीम ने बच्चों को आवश्यकक सामग्री भी उपलब्ध कराई। बच्चों का उत्साह व उनकी भावना निश्चित तौर पर एक संकेत था कि 2 जुलाई को कार्यशाला में भाग लेने के लिए बच्चों की संख्या अब ज्यादा होगी।
2 जुलाई को कार्यशाला के दौरान सबसे पहले इन बच्चों को एक नोट बुक, पेन्सिल, रबड़ व शॉर्पनर दिया गया। एक शिक्षिका के माध्यम से इन बच्चों को नाम लिखने से लेकर अच्छी बातें लिखना सिखाया गया। खुशी के सदस्यों ने कई बच्चों का हाथ पकड़कर लिखना सिखाया। इसके बाद प्रत्येक बच्चे को रंगीन चित्रों की ड्राईंग बुक दी गयी और साथ ही रंग की डिब्बी भी दी गयी। बच्चों ने चित्रों मे अपनी इच्छानुसार रंग भरकर यह साबित कर दिया कि ये भी आम बच्चों की तरह सूझ-बझ रखते है।
खुशी अभियान के फाउण्डर एवं हिन्दुस्तान जिंक के हेड कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौशिक ने बताया कि खुशी वंचित बच्चों की एक आवाज़ बनकर सामने आ रही है। हमारा प्रयास है कि आम जनता भी खुशी अभियान से जुड़े और भारत मे वंचित बच्चों के प्रति जागरूक हों। खुशी केवल एक शब्द मात्र ही नहीं बल्कि एक ऐसी अनुभूति है जिसे महसूस करने पर एक आंतरिक प्रसन्नता, सन्तुष्टि तथा शान्ति महसूस होती है। इन बच्चों के चेहरों पर खुशी तभी आएगी जब हम सब मिलकर इन बच्चों के प्रति समर्पित भाव से अपना योगदान देंगे। कार्यशीला को खुशी के सदस्य प्रद्युमन सोलंकी, मैत्रेयी सांखला, देविका गुप्ता, मुकेश मून्दड़ा, शिवनारायण मौर्य, अंकिता दास, दीक्षा तथा सुनील गोठवाल ने कार्यान्वित किया।