उदयपुर। जनार्दन नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय 53 पेटेंट का आवेदन कर संस्थानों और विश्वविद्यालयों से पेटेंट के लिए आवेदन करने में देश भर के संस्थानों में द्वितीय स्थान प्राप्त कर शीर्ष 10 आवेदकों में शामिल हो गया है।
भारत सरकार के कार्यालय महानियंत्रक, एकस्व, अभिकल्प, व्यापार चिन्ह एवं भौगोलिक उपदर्शन के वार्षिक प्रतिवेदन 2014-15 ने यह जानकारी प्रकाशित की है। कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने बताया कि देश के औद्योगिक विकास और सर्वांगीण उन्नति का एक अपरिहार्य अंग पेटेंट है, जो किसी भी देश की बौद्धिक सम्पदा का सरंक्षण करता है। राजस्थान विद्यापीठ में शोध को बढ़ावा देने के विगत चार वर्षों के प्रयासों के परिणाम अब सम्पूर्ण राष्ट्र के समक्ष आने लग गये हैं। इससे समाज के समेकित ज्ञान में वृद्धि होने के साथ-साथ ज्ञान का प्रसार और अविष्कारिता के क्षितिज का भी विस्तार होता है। हालाँकि आम लोगों के बीच बौद्धिक सम्पदा जागरूकता स्तर में अभिवृद्धि की और अधिक आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान विद्यापीठ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पेटेंट के आवेदन पर बल देगा, जिस हेतु एक बहुद्देशीय कार्यनीति जल्द ही बनाई जायेगी। ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2014-15 के दौरान कई सारे आधारभूत परिवर्तनों के बाद पेटेंट आवेदनों पर कार्यवाही न केवल अधिक दक्ष हुई है अपितु बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित सूचना का प्रसार और पारदर्शिता भी सुदृढ़ हुई है।