पेसिफिक कृषि महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी
उदयपुर। मुख्य अतिथि आईसीएआर के डीडीजी एज्यूजकेशन डॉ एनएस राठौड़ ने कृषि शिक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए हमें द्वितीय हरित क्रांति की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने कृषि में नई तकनीकी के विकास एवं विस्तार हेतु शोध कार्यों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
वे शनिवार को चित्रकूट नगर स्थित पेसिफिक कृषि महाविद्यालय, पाहेर में उच्च कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विषय पर राष्ट्रीसय संगोष्ठी को मुख्यर अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि विशिष्ट अतिथि एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्मा ने कृषि क्षेत्र में आये बदलाव की ओर संकेत करते हुए उच्च कृषि प्रणाली, स्टार्ट अप प्रोग्राम, ई गवर्नेंस, कृषि शिक्षा में ज्यादा ये ज्यादा बालिकाओं, सर्वश्रेष्ठ कृषि मोबाइल एप का विकास, जैनेटिक इन्जिनियरिंग के माध्यम से फसलों को विकसित करना जैसी अन्य बातो का उल्लेख किया।
अन्य अतिथियों में कृषि विश्व्विद्यालय गुजरात के पूर्व कुलपति डॉ. बीएस चुण्डावत, पाहेर के कुलसचिव शरद कोठारी, आईसीएआर के पूर्व एडीजी डॉ. एचएस नानावटी, सीएपीसी के पूर्व अध्यचक्ष डॉ. एसएस आचार्य, कृषि संकाय के प्रभारी एवं अधिष्ठाूता डॉ. एस आर मालू, आयोजन सचिव डॉ. एयू सिद्दीकी थे।
गणमान्य अतिथियों में डॉ. जीएस आमेटा, डॉ. एके सांखला, डॉ. आईजी माथुर, भेरू प्रताप सिंह, डॉ. हिमांशु मेहता उपस्थित थे। डॉ. मालू ने सम्मानित अतिथियो का स्वागत एवं अभिनंदन कर स्वागत उद्बोधन दिया। एमपीयूएटी वेटेनरी महाविद्यालय एवं फिशरीज़ महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, व्याख्याताओं एवं छात्र-छात्राओं ने शोधपत्रों की प्रस्तुति दी।
डॉ. बीएस चुण्डावत एवं डॉ. एसएस आचार्य ने पारम्परिक कृषि से आधुनिक कृषि में अब तक आये सकारात्मक परिर्वतनों से सभी को अवगत कराते हुए कहा कि कृषि को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है। डॉ. नानावटी ने वर्तमान में आरएडब्यूत करई के स्थान पर आरईएडीवाई प्रोग्राम लागू करने पर जोर दिया एवं ई कोर्स की उपयोगिता बताते हुए कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान को एक नया आयाम देने का आह्वान किया। कुलसचिव कोठारी ने पेसिफिक विश्वोविद्यालय में कृषि महाविद्यालय की स्थापना के विषय में जानकारी दी ओर विश्वास व्यक्त किया कि इसके द्वारा मेवाड़ क्षेत्र के छात्रों को कृषि शिक्षा में रोजगार के नये अवसर प्रदान होंगे जिससे यहां के कृषक भी लाभान्वित हो सकेंगे। आयोजन सचिव डॉ. एयू सिद्दीकी ने सभी वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया।