उदयपुर। खाद वह भी ऑर्गेनिक और कैप्सूूल के रूप में। जितने क्षेत्र में एक डीएपी का कट्टा लगता है, उतने क्षेत्र के लिए मात्र एक कैप्सूल। कुछ ऐसे ही प्रयोग उदयपुर के आसपास के क्षेत्र में किए हैं अंतरराष्ट्रीय विकास आयोग के वैज्ञानिक प्रताप थापा ने।
थापा ने बताया कि नेपाल, थाइलैंड, बर्मा, इंडोनशिया, श्रीलंका आदि क्षेत्रों में तो यह कैप्सूल रूपी ऑर्गेनिक खाद पिछले चार-पांच सालों से चल रहा है लेकिन राजस्थान के उदयपुर में यह पहली बार प्रयोगात्मक रूप से किया जा रहा है। डबोक के पास पालीवाल कॉलोनी, भीमल, मावली आदि के कुछ क्षेत्र में इस बार यह प्रयोग किया गया है। थापा ने बताया कि इसके उपयोग से किसानों को बहुत फायदा होगा। लगातार डीएपी के उपयोग से खराब हो रही भूमि की न सिर्फ उर्वरा शक्ति वापस मजबूत होगी बल्कि फसल के उत्पादन में भी निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
थापा ने बताया कि डीएपी के उपयोग से जमीन को काफी नुकसान होता है। यह केंचुओं को खत्म कर देता है जो जमीन की उर्वरा को बनाए रखने में सहायक है। यह डीएपी के मुकाबले काफी सस्ताा भी है। इस कैप्सूल में जिंक, आयरन तथा फसल के लिए आवश्यक कंटेंट शामिल हैं।
थापा ने इसके फायदे गिनाते हुए बताया कि मिट्टी को खराब नहीं कर उर्वरा बनाए रखता है, उत्पानदन का माइक्रो न्यूटेंट बनाए रखता है, उत्पाादन की स्टोरेज केपेसिटी स्वत: बढ़ जाती है, पर्यावरण फ्रेंडली है, जैविक कीड़े-मकोड़ों की संख्या में वृद्धि करता है जिससे फसल को फायदा होता है, जैविक कार्बन पर विशेष ध्यान दिया गया है जो मिट्टी की जीवनदायिनी शक्ति है। साथ ही यूरिया के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
आयोग के संस्थापक सचिव बलवीरसिंह राजावत ने बताया कि इसकी विधिवत लांचिंग उदयपुर में जल्द ही की जाएगी। यह फसलों की ताजगीपन बरकरार रखता है। उदयपुर के आसपास के करीब 50 बीघा तक के खेतों में प्रेक्टीकल किया जा रहा है। चावल को जिस तरह सर्वाधिक यूरिया चाहिए लेकिन सिर्फ तीन बार उचित समय पर वैज्ञानिक देखरेख में यदि इस कैप्सूल का उपयोग किया जाए तो उसकी भरपाई की जा सकती है। खेत का चारा खाने वाले जानवरों को भी इससे फायदा मिलता है।
राजावत ने कहा कि यकायक कुछ नहीं हो सकता, लेकिन हम अपना प्रयास कर रहे हैं। आने वाले समय में निश्चित रूप से रासायनिक खेती को बंद करना पड़ेगा। उदयपुर में इसके उपयोग से न सिर्फ रोजगार सृजित होंगे बल्कि खेतों को टारगेट बनाकर काम करेंगे। नेपाल सरकार ने अंतरराष्ट्रीय विकास आयोग (आईसीडी) को मान्यंता दे दी है। आयोग के निदेशक रमेश वैष्णव, मांगीलाल प्रजापत आदि का भी कार्य में भरपूर सहयोग मिल रहा है।
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