उदयपुर। निम्बार्क शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में गोस्वामी तुलसीदास की 519वीं जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। तुलसी साहित्य से हमें यह सीखना चाहिए कि जीवन कैसे जिये, जीवन के तत्वों की सार्थकता क्या है, जीवन में तुलसी द्वारा कृत साहित्य के ज्ञान को उतारने का संकल्प मात्र न लेकर व्यवहार में परिणिति देनी चाहिए।
हिन्दी परिषद् प्रभारी लक्ष्मी मेनारिया व श्री सुनील वया के मार्गदर्शन में हुए कार्यक्रम में अध्यदक्षता मेवाड़ महामण्डलेश्वर महन्त रासबिहारी शरण शास्त्री ने की। मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता डॉ. ममता पानेरी, अतिविशिष्ट अतिथि जगद्गुरू निम्बार्काचार्य पीठ सलेमाबाद के प्रतिनिधि महन्त महाराज बनवारी शरण शास्त्री व सारस्वत अतिथि महाराज लक्ष्मणपुरी गोस्वामी थे।
प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र द्विवेदी ने अपने स्वागत उद्बोधन में पधारे हुए अतिथियों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए उनके स्वागत करने के क्रम में तुलसीदास जी द्वारा रचित साहित्य की महिमा को भावी शिक्षकों के समक्ष प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता डॉ. ममता पानेरी ने बताया कि तुलसीदासजी के राम को केवल भगवान रूप में ही स्मरण न कर उनके आदर्श चरित्र को जीवन में अपनाना चाहिए। राम का चरित्र आदर्श पुत्र, आदर्श भ्राता, आदर्श पति, आदर्श स्वामी, आदर्श शिष्य, आदर्श राजा के रूप में तत्कालीन समाज व वर्तमान समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में भावी शिक्षकों को तुलसीदास द्वारा रचित आदर्श साहित्य के ज्ञान, आदर्श रूप व लोक मंगल की भावना को जीवन में आत्मसात् करने की शिक्षा दी। सारस्वत अतिथि गोस्वामी ने चौपाई के माध्यम से तुलसीदास जी का जीवन परिचय बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते हुए आज के युग के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक विडम्बना को भावी शिक्षकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए, एक नवीन दर्शन का सूत्रपात किया। छात्राध्यापिकाओं ने तुलसीदास जी के जीवन परिचय, कृतित्व पर भिति पत्रिका का निर्माण किया गया। कार्यक्रम में जागृति गोस्वामी, प्रिया यादव, धर्मिष्ठा, मोनिका उपाध्याय, आशा तिवारी, वंदना व्यास आदि प्र्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉ. हनुमान सहाय शर्मा, डॉ. मधु शर्मा, डॉ.माया खण्डेलवाल आदि ने अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया।