धूमधाम से मनाया राजस्थान विद्यापीठ का 80 वां स्थापना दिवस
उदयपुर। समाज का समग्र विकास शिक्षा से संभव है, लेकिन अब वर्तमान परिप्रेक्ष्य भी बदला है। अब संस्थानों में ऐसे छात्रों को तैयार करने की आवश्यकता है, जो राष्ट्र निर्माण की भावना में समर्पित हो। इसका बहुत बड़ा दायित्व हमारे अध्यापकों पर भी हैं। अब हमारे शिक्षण संस्थानों से अधिक से अधिक संख्या में इंजीनियर, डॉक्टर, कलक्टर, पायलट, योग शिक्षक और शिक्षक निकलें।
ये आव्हान रविवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एचसी पारख ने संस्था के 80 वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यरक्तप किए। उन्होंने कहा कि संस्था का स्थापना से ही उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में शिक्षा दीक्षा का प्रचार प्रसार रहा है। यह दिवस हमारे आत्म चिंतन का अवसर है बीते वर्ष में किये गये कार्यों के मूल्यांकन एवं नवीन दायित्वों का बोध एक साथ कराने का है।
नवाचार और शोध की संख्या बढ़े : अध्यक्षता करते हुए कुल अध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र जौहर ने इस अवसर पर नवाचार अपनाने और शोध की संख्या में बढोतरी करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे इस आदिवसी अंचल में शोध के जितने अवसर है उतने ही विषय भी। आवश्यकता इस बात की है कि इन जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में अधिक से अधिक हो ताकि उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए खासे प्रयास भी किए जा सके। इन शोध कार्यों का लाभ निश्चित तौर पर इन गरीब और आदिवासी लोगों को मिल सकेंगा।
समाज की जिम्मेदारी शिक्षक की : प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि राष्ट्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में विद्यापीठ अपनी भूमिका को निरंतर सक्रिय बनाए हुए हैं। अच्छे समाज को बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक की है जिसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे छात्र निर्माण अपना सर्वस्व दें और समाज के सामने ऐसे छात्रों को उपस्थित कर मिसाल कायम करें।
विशिष्टा अतिथि कुल प्रमुख भंवर गुर्जर ने कहा कि राष्ट्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में विद्यापीठ अपनी भूमिका को सक्रिय बनाये है। विद्यापीठ समग्र ग्रामीण समुदाय के उत्थान के लिए कार्य कर रही है जो कि संस्थापक जनुभाई का सपना था। विशिष्टन अतिथि राजकीय आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी एवं समाज सेवी डॉ. शोभालाल औदिच्य एवं रक्तदाताओं केा प्रेरणा देने वाले रविन्द्रपाल सिंह कप्पू ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. प्रकाश शर्मा ने किया। धन्यवाद कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने ज्ञापित किया।
ध्वजारोहण पंडित नागर को नमन- कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा संस्था का ध्वजारोहण तथा समस्त कार्यकत्ताओं ने पंडित नागर की प्रतिमा पर पुष्पाजंली अर्पित कर उनको नमन किया। सहायक रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. हरीश शर्मा, प्रो. सुमन पामेचा, डॉ. सुनिता सिंह, डॉ. मंजू माण्डोत, डॉ. शषि चित्तोड़ा, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रो. मलय पानेरी, डॉ. मुक्ता शर्मा, डॉ. संजय बंसल, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. सरोज गर्ग, डॉ. सत्यभूषण नागर, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. राजन सूद, डॉ. अर्पणा श्रीवास्तव, प्रो. मुक्ता शर्मा, प्रो. नीलम कोशिक, प्रो. अनिता शुक्ला, भवानीपाल सिंह, डॉ. दिलीप सिंह चौहान, कौशल नागदा और डॉ. धर्मेन्द्र राजोरा अधिष्ठाता पूर्व सहित कार्यकर्त्ता उपस्थित थे।
इनका सम्मान : कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि योग शिक्षा एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले डॉ. शोभालाल औदिच्य एवं रक्तदाताओं को प्रेरणा देने वाले व 74 बार रक्तदान करने वाले रविन्द्रपाल सिंह कप्पू का विद्यापीठ परिवार की ओर शॉल, उपरणा, प्रतीक चिन्ह, पगडी एवं नकद राशि देकर सम्मानित किया किया तथा विद्यापीठ के विभिन्न विभागों एवं ग्रामीण अंचलों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया।