उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक साहित्य संस्थान की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेशानुसार आज़ादी के 70 वें वर्ष पर आयोजित गतिविधि पखवाड़े संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. केएस गुप्ता ने कहा कि राजस्थान के रणबांकुरों ने आजादी की मुख्य धारा में महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने कहा कि बिजोलिया का किसान आन्दोलन हो या प्रजामण्डल देश के लिये प्रेरणाश्रोत बने।
अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान की जनता एवं शासक वर्ग स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उसके सजग प्रहरी जननायक महाराणा प्रताप से प्रेरित रहे। इसी कारण अरब, तुर्क, मुगल, मराठा, पिण्डारी व ब्रिटिश सत्ता के साथ संघर्ष में यह क्षेत्र अग्रणी रहा। संगोष्ठी में विशिष्टी अतिथि प्रो. गिरीशनाथ माथुर ने कहा कि जन्नू भाई व विद्यापीठ ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका की। इतिहास के ऐसे पृष्ठ संस्था व देश की धरोहर हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तीन मूर्ति हाउस दिल्ली में संग्रहित आजादी के रिकार्ड को ठीक से अध्ययन किया जाए।
संगोष्ठी से पूर्व साहित्य संस्थान के समस्त कार्यकर्ताओं ने प्रातः अशोक नगर स्थित स्वाधीनता सेनानी हनुमान प्रसाद प्रभाकर की समाधि पर फूलमाला अर्पित कर श्रद्धाजंलि दी। संचालन करते हुए निदेशक डॉ. जीवनसिंह खरकवाल ने कहा कि शहर में आजादी के रणबांकुरों से सम्बन्धित एक संग्राहलय बनाने की महत्ती आवश्यकता है। साहित्य संस्थान के संग्रहालय में राजस्थान के 60 स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों तथा उनसे संबंधित राजस्थान राज्य अभिलेखागार से प्राप्त दस्तावेजों की छायाप्रति की प्रदर्शनी लगायी गई। इसमें विद्यापीठ का योगदान, बिजोलिया का किसान आन्दोलन विभिन्न सीआईडी. रिपोर्ट, कुली-बेगार आदि आजादी से संबंधित अनेक दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया हैं। इसके अतिरिक्त आजादी के सिपाहियों पर लिखी गई लगभग 60 पुस्तकों को भी प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी कुछ महत्वपूर्ण सामग्री डॉ. हेमेन्द्र चौधरी के संकलन से प्राप्त की गई। प्रदर्शनी को सभी प्रतिभागियों ने सराहा। गोष्ठी में भरतलाल आचार्य, महेश आमेटा, संगीता जैन, धर्मनारायण सनाढ्य, विष्णु पालीवाल, वंदना चौधरी, नारायण पालीवाल, कृष्णपालसिंह, शोएब कुरैशी, शंकरलाल डांगी, मोड़ीराम आदि ने भाग लिया।