राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने उदयपुर में ली बैठक
उदयपुर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के साथ ही बच्चों के विकास की सभी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू करने का आह्वान किया है और कहा है कि आदिवासी क्षेत्रों में इस दिशा में विशेष प्रयासों की आवश्यकता है।
चतुर्वेदी ने शनिवार को उदयपुर सर्किट हाउस में विभागीय अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक में यह आह्वान किया। श्रीमती चतुर्वेदी ने जिला कलक्टर रोहित गुप्ता सहित जिलास्तरीय उच्चाधिकारियों से भी चर्चा की और जनसुनवाई करते हुए विभिन्न विषयों पर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
सर्किट हाउस के सभा कक्ष में उन्होंने बाल अधिकारों से संबंधित तमाम पहलुओं पर अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की और बाल कल्याण गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। मनन चतुर्वेदी ने नवीन जेजे एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन, आरटीई को प्रभावी ढंग से लागू करने, शिशु एवं किशोर गृह की स्थिति को बेहतर बनाने, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 के सार्थक क्रियान्वयन, बाल श्रम उन्मूलन, आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण प्रबन्धन को गुणात्मक बनाने आदि पर निर्देश दिए।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) ओ.पी. बुनकर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक गिरीश भटनागर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक, बाल सुरक्षा नेटवर्क के शैलेन्द्र पण्ड्या, बाल कल्याण समिति और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं से हरीश पालीवाल, डॉ. राजकुमारी भार्गव, बीके गुप्ता, डॉ. प्रीति जैन, सुखलाल लौहार, संगीता भार्गव, भोजराजसिंह, नवनीत व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी शिवजी गौड़ सहित अधिकारियों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने बच्चों के हितों की सुरक्षा के साथ ही बाल कल्याण गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए और कहा कि बच्चों के समग्र कल्याण के लिए हमें अपना नज़रिया बदलना होगा। उन्होंने शैक्षिक विकास के लिए व्यापक उपायों पर बल दिया और कहा कि आरटीई एक्ट बेहतर ढंग से लागू किया जाकर बच्चों को शिक्षा-दीक्षा से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भरता देने के प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने बच्चों के कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं से कहा कि वे बच्चों की समस्याओं की जड़ में जाएं और उनका व्यवहारिक समाधान ढूँढ़ने की कोशिश करें, इसके साथ ही बच्चों का जीवन संवारने के लिए विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सार्थक क्रियान्वयन के प्रति गंभीर रहें।
जन सुनवाई में सुनी समस्याएं : इस दौरान महाविद्यालयी बालिकाएं उनसे मिली और जनजाति क्षेत्र में बालिकाओं की समस्याओं के बारे में अवगत कराया। चतुर्वेदी ने इन बालिकाओं से एकान्त में चर्चा की और उनकी परेशानियों को सुना तथा ठोस कार्यवाही का आश्वासन दिया। उदयपुर शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों ने बच्चों की समस्याओं व अन्य विषयों पर चतुर्वेदी से बातचीत की और समस्याओं के समाधान का आग्रह किया।