चतुर्थ आचार्य जयाचार्य के निर्वाण दिवस पर कार्यक्रम
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ने कहा कि स्वयं को विनम्र रखें। तभी व्यक्ति खुद को प्रगति के शीर्ष पर पहुंचा सकता है। इसका साक्षात उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य जयाचार्य के व्यक्तित्व से मिलता है।
वे सोमवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य जयाचार्य के निर्वाण दिवस पर आयोजित सभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि तेरापंथ की जड़ों को मजबूत करने और शक्तिशाली करने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है। उन्हें जीतमल, जय मुनि के नाम से भी जाना जाता था। उनका गुरु के प्रति इतना अगाध प्रेम कि वे कहते थे कि सौ जीतमल मिलकर भी एक गुरु नहीं बना सकते।
उन्होंने कहा कि आचार्य जयाचार्य ने ही साध्वी प्रमुखा का पद सृजित किया। पहली साध्वी प्रमुखा सरदार सती को नियुक्त किया गया जिन्होंने बड़ी मुश्किल से दीक्षा ली। उन्होंने 121 साध्वियों के 23 सिंघाड़े नियुक्त किए। वर्ष में तीन आचार्य भिक्षु का चरमोत्सव, पाटोत्सव एवं मर्यादा महोत्सव मनाए जाते हैं, ये भी आचार्य जयाचार्य की ही देन है। साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनमप्रभा और साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने गीतिका प्रस्तुत की।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि मंगलवार से तेरापंथ धर्मसंघ के पर्यूषण आरंभ होंगे। प्रतिदिन सुबह 9.15 से नियमित प्रवचन होंगे। साध्वी श्री ने समाजजनों से सामायिक आवश्यक रूप् से करने का आग्रह किया।