विद्यापीठ की मान्यता पर नेक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई मोहर
उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान की है। न्यायालय ने टंडन व ऑफिसर कमेटी की रिपोर्ट को निरस्त करते हुए विद्यापीठ के डीम्ड यूनिवर्सिटी के खिताब को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट के विश्वविद्यालय के पक्ष में दिए निर्णय से विद्यार्थियों में खुशी व उत्साह है। नेक से मिली बी ग्रेड से विश्वविद्यालय की मान्यता पर आया संकट टल गया था, अब नेक निरीक्षण को सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी विद्यापीठ के डीम्ड विश्वविद्यालय के खिताब को सुरक्षित कर दिया है।
यह था मामला : 2010 में मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से देश के 144 डीम्ड विश्वविद्यालयों की स्थति का जायजा लेने के लिए टंडन कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने 40 विश्वविद्यालयों की मान्यता रदद करने की सिफारिश की थी। कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ विद्यापीठ सहित कई विश्वविद्यालयों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। नेक टीम से विश्वविद्यालयों का निरीक्षण कराने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए विद्यापीठ के डीम्ड विश्वविद्यालय के दर्जा जारी रखने का आदेश दिया है।
टंडन कमेटी की रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय : टंडन कमेटी की रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय का अनुदान रोक दिया गया। ज्ञातव्य है कि 2008-09 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दसवें प्लान में 3 करोड़ रूपये सेंक्शन किये थे। उसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के विश्वविद्यालय के पक्ष में दिए निर्णय से विश्वविद्यालय को पुनः अनुदान प्राप्त हो सकेगा।
प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि समर्पित साथियों की लगन एवं मेहनत से इस मुकाम को हासिल किया। उन्होनें बताया कि जब उन्होनें विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला तक विश्वविद्यालय की मान्यता खतरे में थी कार्यकर्ताओं एवं विचारवान शुभ चिंतकों ने सारे मापदंडों की कसौटी पर खरा पाए जाने के बाद पंडित जनार्दन राय नागर द्वारा निर्मित शिक्षा के मंदिर को बचा लिया।