डिजाईनर्स फोरम ने विकसित की अविश्वसनीय सोच
गूगल पर नहीं मिलता इसका उल्लेख
उदयपुर। डिजानर्स फोरम संभवतः देश की ऐसी पहली संस्था है जिसने आईओटीए यानि इन्टरनेट आफ थिंक्स इन आर्किटेक्चर नामक ऐसी सोच विकसित की है जिसमें आर्किटेक्ट इन्टरनेट के माध्यम से घर बैठे प्रोजेक्ट स्थल पर जरा सी होने वाली गड़बड़ को पकड सकेगा। हर जगह इन्टरनेट का उपयोग हो रहा है लेकिन इस क्षेत्र में इन्टरनेट का उपयोग करने वाली यह पहली संस्था बनने जा रही है। इस कार्यशाला का ओयाजन आज शाम सौ फीट रोड़ स्थित होटल एम्बियंस में किया गया। जिसमें शहर के 80 आर्किटेक्ट्स ने भाग लिया।
फोरम के अध्यक्ष आर्किटेक्ट उपेन्द्र तातेड़ ने बताया कि विश्व में ईजाद की जा रही नवीन तकनीक का इस क्षेत्र में इन्टरनेट के जरिये समावेश कर अपने कार्य को अविश्वसीय तरीके से पूर्ण करना निकट भविष्य में और आसान हो जाएगा। इनका कहना था कि कोई भी कम्पनी इस प्रकार की सोच फोरम पर लादे उससे पूर्व फोरम कम्पनी को अपनी पसन्द एवं जरूरत अनुसार सामग्री कम्पनी के जरिये तैयार करवा कर अपने ग्राहकों को उपलब्ध करना चाहता है।
तातेड़ का कहना था कि फोरम इस प्रकार की सोच रखता है कि कोई भी कार्य अव्ष्विसनीय नहीं है, सिर्फ उसमें कार्य को सम्पन्न करने का जबा होना चाहिये। जब इस कार्य में इन्टरनेट के साथ तकनीक का समावेश होगा तो ग्राहकों को आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे। फोरम यह सभी सोच रखती है जब देश मंे बिल्डिंग घूमती हुई बन सकती है तो क्यों न बिल्डिंग को झूकते हुए बनाया जाए। जब विश्व में किसी भी बिल्डिंग पर हमला हो तो इन्टरनेट यह बता दें कि इस बिल्डिंग को झुका लो क्योंकि इस पर हमला होने वाला है। ऐसी सोच का इस क्षेत्र में उपयोग होना अब आसान हो जाएगा।
आर्किटेक्ट सुनील लढ़ा ने बताया कि आईओटीए एक फिलोसोफी है जिसे फोरम ने देश ही नहीं वरन् विश्व में पहली बार इसे विकसित करने का बीड़ा उठाया है। आज के इस युग में इंटरनेट रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो चुका है। वर्ष 1977 में जब इसका जन्म हुआ तब पूरे विश्व ने महसूस किया कि यह सचमुच एक बड़ी ताकत है। इसकी महत्ता गत एक दशक में और महत्वपूर्ण साबित हुई है।
इंटरनेट ने एक किस्म की क्रांति ला दी है जो धीरे धीरे मोबाइल के रूप में हमारी जिंदगी के आसपास पूरी तरह सिमट गई। ऐसे जैसे कि यह हमारे शरीर से जुड़ा कोई कृत्रिम अंग ही हो। ये सब इसलिए हुआ कि इंटरनेट हमारे घर के दरवाजे पर ही था एक सच्चे दोस्त की तरह।
आर्किटेक्ट दिलीप खण्डेलवाल एवं अंजली आजाद दुबे ने बताया कि यह सिर्फ इसलिए संभव हो सका क्योंकि मोबाइल के जरिये इंटरनेट की पहुंच घर-घर तक हो गई थी। अब बिल्कुल अनछुआ आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिजाइनिंग का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। यह इस क्षेत्र में एक बड़ी आवश्यकता बन चुका है। अब जरूरत है इसे हम सही तरीकों और सही दिशा में इस्तेमाल करें ताकि हम इसके गुलाम न बनें बल्कि एक मजबूत हथियार के रूप में इसे अपने साथ रख सकें। एक ऐसा हथियार जो हमारे कार्य कौशल को भी बढ़ा दे और जगह के हिसाब से उत्कृष्टता की कार्यशैली को बनाये रखे। कार्यशाला में शहर के अनेक आर्किटेक्ट ने वर्कशॉप में हिस्सा लेकर आईओटीए की सोच का समावेश करते हुए लगभग 10 प्रकार के नवीन तकनीकयुक्त मॉडल का प्रजेन्टेशन देकर अपनी भावी सोच को बताया। आर्किटेक्चर एवं इन्टरनेट के नये युग की शुरूआत आज से की।