प्रो. केके वशिष्ठ को डी.लिट् की उपाधि
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ ऐसा संस्थान है जिसे प्रचार-प्रसार की आवश्यकता नहीं। यह एक मौन साधक की तरह है, जो सम्पूर्ण राष्ट्र में शिक्षा की पहचान बना है। शिक्षा का मतलब आत्मा से साक्षात्कार करना है। जो समाज में सुधार करता है सच्चे अर्थों में वही शिक्षित है।
ये विचार राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा जयपुर के सेमीनार हॉल में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति प्रो. केके वशिष्ठ को डी.लिट्. को उपाधि सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि संस्थापक पं. मनीषी जनार्दनराय नागर का सपना था कि मेवाड़ के आदिवासी अंचल के गरीब पिछड़े तबके के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा रोजगारोन्मुखी का कार्य कर रहा है जो निरंतर जारी है। अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एचसी पारख ने कहा कि राष्ट्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में विद्यापीठ अपनी भूमिका को निरन्तर एवं सक्रिय बनाए हुए है। हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना कर हम और मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ाये हैं। कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने स्वागत भाषण तथा प्रशस्ति पत्रवाचन किया। समारोह में प्रो. सीपी अग्रवाल डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. प्रदीप पंजाबी, डॉ. शेलेन्द्र मेहता सहित के डीन डायरेक्टर उपस्थित थे।
प्रो. वशिष्ठ को डी लिट् : समारोह में विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, कुलाधिपति एचसी पारख, कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत, एमडीएस विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति प्रो. कैलाश सोड़ानी, कुल अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र जौहर, कुल प्रमुख बीएल गुर्जर, विशेषाधिकारी डॉ. हेमशंकर दाधीच ने प्रो. वशिष्ठ को विद्या-वारिधि उपाधि अर्पण (डी.लिट्.) की उपाधि, शॉल, पगड़ी, उपरणा तथा सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।