पेसिफिक विश्व विद्यालय में रसायन शास्त्रो पर सिम्पोजियम शुरू
उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय के स्नात्तकोतर अध्ययन और रसायन विभाग की ओर से रसायन शास्त्र में भौतिक विधियों पर आरएससी सिम्पोजियम की शुरुआत रविवार को हुई। इसमें देश भर से 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि नई तकनीकों का रसायन अनुसंधान में समावेष देष भर के रसायनज्ञों को अनुसंधान में नई दिशा प्रदान करेगा। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया और पेसिफिक विश्वविद्यालय एवं रॉयल सोसायटी ऑफ केमेस्ट्री, लन्दन के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार होने वाली इस तरह की संगोष्ठी को सराहा। उद्घाटन सत्र में संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. बीपी शर्मा, कुलपति पेसिफिक विश्वविद्यालय ने की। उन्होंने बताया कि विज्ञान जगत में नई तकनीकों की जानकारी के अभाव में देश अनुसंधान के क्षेत्र में पिछड़ रहा है। नवीन भौतिक विधियों की जानकारी से हमारा देश शोध के क्षेत्र में भी अपना सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पाएगा। प्रो. सुरेश सी. आमेटा ने रसायन की प्रगति तथा प्रो. हेमन्त कोठारी ने विश्वविद्यालय तथा शोध विषयों की जानकारी दी। सचिव डॉ. रक्षित आमेटा ने संगोष्ठी की उपयोगिता के बारे में बताया। प्रो. एके सिंह ने आणविक केजिंग जैसी नवीन तकनीक के बारे में बताया। इस तकनीक से जैव रासायनिक यौगिकों को निर्धारित स्थान तक पहुंचाया जाता है। इसका उपयोग बायोलॉजी, मेडिसिन, केमेस्ट्री और फिजियोलोजी जैसे क्षेत्रों में होता है। इस तकनीक के द्वारा प्रकाश उत्क्रमणीय केज कम्पाउण्ड भी बनाए जा सकते है। प्रो. जी. गोविल ने अपने व्याख्यान में एक्स-रे विवर्तन और एनएमआर जैसी उपयोगी स्पेक्ट्रमिकी के बारे में बताया। इस तकनीकों से अणुओं की 3 संरचना, औषधियों की शुद्धता और उनकी त्रिविमीय समावयवता का निर्धारण कर सकते है। जीवित कोषिकाओं में उपापचयी क्रियाओं का अध्ययन भी किया जा सकता है। हॉस्पीटल में सामान्यतया उपयोग होने वाली स्केन व एम आर आई जैसी जाँचें भी इन्हीं की देन है। इनसे मानवीय आचरण, साइकोलॉजी व उसके सीखने की क्षमता का अध्ययन भी कर सकते है। अन्त में प्रो. शिव सिंह दुलावत ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. सुरभि बेन्जामिन ने किया।