रसायन शास्त्र की चुनौतियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन
उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय में स्नातकोतर अध्ययन एवं रसायन विभाग द्वारा इंडियन केमिकल सोसायटी, कोलकाता के तत्वावधान में रसायन शास्त्र की चुनौतियों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन अध्यक्ष प्रो. सुरेश सी. आमेटा व सम्मेलन निदेशक प्रो. हेमन्त कोठारी ने बताया कि सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि प्रो. उमाशंकर शर्मा कुलपति एमपीयूएटी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण व पर्यावरण रक्षण दोनो कार्य रसायनज्ञों के हाथों में ही है, इसलिए पर्यावरण हितैषी कीटनाशी तथा पीड़कनाशी का उपयोग संतुलित रुप से करना चाहिए। जीवक उर्वरकों का प्रयोग वातावरण के लिए एवं जीवों के लिए लाभप्रद साबित होगा। ऐसे सम्मेलन के आयोजन से शोधार्थियों को रसायन अनुसंधान में आने वाली मुश्किलों का समाधान मिलेगा व उनकी परिकल्पनाएं वास्तविकता का रुप ले पाएंगी और रसायन अनुसंधान में कई नए क्षेत्रों का विकास होगा। अध्यक्षता कुलपति प्रो. बी. पी. शर्मा ने की। उन्होंने क्वाटंम यांत्रिकी का प्रयोग आत्मा और चेतना में बताया और कहा कि वैज्ञानिक प्रयोग शरीर, चेतना और आत्मा को भी वर्तमान समय में परिभाषित करने की क्षमता रखते है।
वर्तमान प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ कि मस्तिष्क में वैद्युत रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरुप वैद्युत उत्पन्न होती हे। प्रो. शर्मा ने इस बात पर भी प्रकाष डाला कि भारत में करीब 2000 दवाई कम्पनियॉ कार्यरत है जो पेटेंट कानूनो से बंधी हुई है, जिस कारण समान्यता जनता को महॅगी दवाई खरदनी पडती है। इसके विरुद्व हमें एक अभियान चला कर इन दवाईयों को सस्ती व सुलभ करनी चाहिए। जीन परिवर्तित फसलों के कई सारे दुष्प्रभाव हैं इससे कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं व कई होने वाली हैं।
सम्माननीय अतिथि प्रो. बी. एल. वर्मा ने आधारभूत रासायनिक अभिक्रिया तथा उनके संष्लेषण पर बल दिया। प्रो. डी. सी. मुखर्जी ने बताया कि रसायन अनुसंधान का उपयोग उद्योगों में होना चाहिए, जिससे हमारा देश कारोबार के क्षेत्र मे अपना अग्रणी स्थान प्राप्त कर सके। सेमिनार के समापन पर विभिन्न अकादमिक सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किये। प्रो. अंषु डांडिया ने नैनो पदार्थ की संरचना व उनकी उत्क्रमणीय सक्रियता, प्रो. अली मोहम्मद ने थीन लेयर वर्णलेखी व प्रो. एस के दास ने जलीय विलयन से क्रोमियम धातु का निष्कासन व कृत्रिम तंत्रिका तंत्र की मॉडलिंग के बारे में बताया। संयोजक डॉ. रक्षित आमेटा ने आयोजन के उद्देश्यर पर प्रकाश डाला। विभिन्न प्रतिभागीयों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये तथा अपने विचारों को देश के वैज्ञानिकों से परिचर्चा कर वर्तमान में उपस्थित समस्याएं जैसे जल प्रदूषण, पॉलिमर प्रदूषण एवं विभिन्न औषधियों के बारे में नई तकनीक एवं आविष्कारों को जाना। युवा वैज्ञानिक पुरस्कार अरुण शर्मा, गौरव जोषी, चम्पा मौर्य, तरुणा डॉगी व वरिष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार निशान्त अनासाने, प्रेमचन्द्र सुथार, डॉ. गरिमा आमेटा को दिया गया। अन्त मे प्रो. शिव सिंह दुलावत ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. सुरभि बेन्जामिन ने किया।