उदयपुर। उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर जो आंदोलन गत 35 वर्षों से मेवाड़-वागड़ हाईकोर्ट बैंच संघर्ष समिति एवं बार एसोसिएशन के नेतृत्व में आंदोलन के तहत आज बार एसोएिशन, जिला हाईकोर्ट बैंच संघर्ष समिति के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यवाही में भाग नहीं लिया तथा आंदोलन का समर्थन करते हुए स्टाम्प वेंडर्स एवं टाईपिस्टों ने भी व्यवसाय बंद रखा।
बार महासचिव रामलाल जाट ने बताया कि जिला न्यायालय के मुख्य द्वार पर अधिवक्ताओं ने उक्त मांग को लेकर धरना दिया। धरना स्थल पर सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शम्भूसिंह राठौड़, संघर्ष समिति के संयोजक शांतिलाल चपलोत ने की।
अधिवक्ताओं ने कहा कि इस क्षेत्र के अधिवक्ता 35 वर्षों से शीघ्र एवं त्वरित न्याय जनता को दिलाने के लिए संघर्षरत हैं तथा जनता के सहयोग से अधिवक्ताओं ने लम्बे आंदोलन भी संचालित किये हैं। क्षेत्र की भौगोलिक, ऐतिहासिक, आर्थिक परिस्थितियां तथा राजस्थान उच्च न्यायालय में लम्बित मुकदमों की संख्या के आधार पर उदयपुर में राजस्थान में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित किया जाना काफी आवश्यक है क्योंकि बांसवाडा, डूंगरपुर तथा जिला मुख्यालय से सीधा कोई रेल मार्ग भी नहीं है जिससे लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर आज किये गये आंदोलन में सरकार से वार्ता के लिए एक कोर कमेटी का गठन करने का निर्णय किया गया। नवरात्रि के अवकाश के बाद मेवाड वागड हाईकोर्ट संघर्ष समिति की वृहद स्तर पर संभाग की मीटिंग रखकर, संभाग के सभी संगठन के जनप्रतिनिधियों को एक साथ लेकर हाईकोर्ट बैंच आंदोलन को गति प्रदान करेंगे।