कोर्निया के पतला होने का खतरा बढ़ जाता है
उदयपुर। वरिष्ठ कोर्निया रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष नागपाल ने जनता को जागरूक करते कहा कि आंखों में एलर्जी होने पर अपनी आंखों को खुजलाना नहीं चाहिये क्योंकि बार-बार खुजलाने से किरेटोकोनस नामक बीमारी हो जाती है जिस कारण कोर्निया पतला हो जाता है और नजर भी कमजोर हो जाती है।
वे आज राजस्थान ओप्थलमोलोजिकल सोसायटी की ओर से आज से 23 अक्टूबर तक यूसीसीआई के चेम्बर भवन में आयोजित की जा रही 39 वीं राज्य स्तरीय तीन दिवसीय सेमिनार रोसकोन-2016 के दूसरे दिन उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आंखों में एलर्जी होने पर चिकित्सक से ईलाज कराना चाहिये न कि घर में स्वयं चिकित्सक बन कर आंखों में शहद, घी, या पानी डाल कर उसका उपचार करने का प्रयास करना चाहिये। डॉ. नागपाल ने बताया कि किरेटोकोनस बीमारी का ईलाज करने के लिये विशेष रूप से कोर्नियल टोकोग्राफी नामक टेस्ट कराना चाहिये ताकि कोर्निया की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकें। आंखों के नम्बर जल्दी-जल्दी बदलने पर,आंखों को बार-बार खुजलाने की आदत हो या सिलेन्डरीकल नम्बर हो तो यह टेस्ट अवश्य कराना चाहिये। उन्होंने बताया कि करीब 7-8 वर्ष पूर्व इस बीमारी को काई ईलाज नहीं था लेकिन अब इसका इलाज संभव है। क्रोसलिंकिंग नामक उपचार के जरिये कोर्निया को मजबूत बनाया जाता है और यदि कोर्निया अधिक ही पतला हो तो कोर्निया ट्रांसप्लान्ट किया जाता है।
कालापानी- आंखों में बनने वाले द्रव्य को एकोसह्यूमर कहा जाता है जब द्रव्य बनने को और उसके निकलने का एक अनपुात होता है लेकिन जब द्रव्य बनने लगे ओर उसकी निकासी मंे रूकावट आ जाती है तो उसे कालापानी कहते है। इसके ईलाज के लिए ऑपरेशन, दवाओं से ठीक किया जाता है और किसी-किसी मामलों में लेज़र ऑपरेशन भी किया जाता है। कालापानी की समस्या मूख्यतः आनुवंांिशकी होती है, यह चोट लगने, पूर्व में किसी प्रकार का आंख का ऑपेरशन होने या स्टॉरायड दवा लेने से भी कालापानी की समस्या हो जाती है।
वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक एवं सोसायटी के आयोजन सचिव डॉ. एलएस झाला ने बताया कि सेमिनार के दौरान अलख नयन मंदिर में डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल डॉ. देवेन्द्र सूद,डॉ. सोनू गोयल, डॉ. मूकेश शर्मा, डॉ. गौरव लूथरा, डॉ. मयंक अग्रवाल, डॉ. सौरभ भार्गव, डॉ. सुरेश पाण्डे व डॉ. अतुल त्यागी ने 7 मोतियाबिंद सहित कालापानी एवं नाखूना की पहली बार उदयपुर में इतने बड़े स्तर पर लाइव सर्जरी की गई। जिसका यूसीसीआई में सजीव प्रसारण किया गया। उन्होेंने बताया कि संभाग में पहली बार आयोजित इस प्रकार की लाइव सर्जरी में यह बताया गया कि नेत्र रोगों के मामलों में जिस प्रकार का ईलाज अमेरीका एंव ईग्लैंड में उपलब्ध है वैसा ही ईलाज अब यहंा भी उपलब्ध है।
आयोजन चेयरमेन डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि इस सेमिनार में ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र चिकित्सा में काम करने वाले राजकीय चिकित्सकों को भी इस क्षेत्र में हो रहे नवीन अनुंसधानों से अवगत होने का मौका मिलेगा।
ग्लुकोमा एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में गांव तो गांव, शहरवासियों तक को पता नहीं चल पाता और वे इसके शिकार हो जाते हैं। हमारे यहां देसी भाषा में इसे काला पानी कहा जाता है।
अलख नयन मंदिर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल. एस. झाला ने बताया कि जिस तरह ब्रेन को गीला रखने के लिए फ्ल्यूड निकलता रहता है ठीक उसी तरह आंखों को भी न्यूट्रीशन देने के लिए यह पानी आता है जो निरंतर सर्कुलेट होता है। ग्लुकोमा दो तरह का एक्यूट और क्रोनिक होता है। जिस तरह सामान्य व्यक्ति का रक्तचाप 120 और 80 होता है ठीक उसी तरह आंखों का भी प्रेशर होता है जो सामान्यतः 10 मिमी प्रति मर्करी होता है। जब यह 20 से उपर निकल जाता है तो आंखों में पानी एकत्र होना शुरू हो जाता है। यह क्रोनिक में आता है। इसके तहत आंखों से पानी निकलने का द्वार पतला होता जाता है और पानी रूक जाता है। आजकल नई तकनीक आ गई है जिससे बाईपास कर उस पानी का निकास द्वार बना दिया जाता है। अलख नयन मंदिर में इस तरह की हम सर्जरी कर रहे हैं। इसके अलावा 40 वर्ष की आयु से उपर प्रत्येक व्यक्ति को छह माह या वर्ष में एक बार आंखों का प्रेशर चेक करवाना चाहिए। हमारे यहां ओपीडी में हमने तय कर दिया है कि 40 से उपर की आयु के व्यक्ति का यह प्रेशर अनिवार्यतः चेक किया जाए। एक क्रोनिक जो साधारण ग्लुकोमा कहा जाता है। इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। इसे सिर्फ अवेयरनेस से रोका जा सकता है। विजन कम होता रहता है और व्यक्ति पूर्णतः अंधा भी हो सकता है जिसका अंततोगत्वा कोई उपचार नहीं है। अलख नयन मंदिर से डॉ. देेवेन्द्र सूद ने लाइव सर्जरी का प्रदर्शन भी किया।
कोर्निया के बारे में केरल के डॉ. अरूप चक्रवर्ती, आई सर्जन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रामामूर्ति, रेटिना विशेषज्ञ डॉ. मनीष नागपाल ने भी जानकारी दी। फेको सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. गौरव लूथरा ने अलख नयन में ऑपरेशन कर लाइव सर्जरी का उदाहरण दिया। एम्स दिल्ली से रिटायर्ड डॉ. हर्ष कुमार, जयपुर से डॉ. अंकुर सिन्हा, डॉ. सुनील गुप्ता, कोयम्बटूर से डॉ. चित्रा रामामूर्ति ने ग्लुकोमा से सम्बन्धित लेटेस्ट जानकारी प्रदान की।
आयोजन समिति के चेयरमेन डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि रविार को सेमिनार का समापन होगा। जिसमें रेटिना सहित विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। आज शनिवार शाम को राजस्थान ओप्थलमोलेाजिकल प्रीमियर लीग का अयेाजन किया गया जिसमें सभी प्रतिभागियों को चार टीमों में बांटा गया है। प्रत्येक टीम के प्रत्येक चिकित्सक ने अब तक की गई सर्वश्रेष्ठ सर्जरी का वीडियो दिखाकर उस पर चर्चा की गई।