खुलने से सरकार को मिलेगा 500 करोड़ का राजस्व
फिल्मसिटी का नाम सुनते ही मन में बॉलीवुड के हीरो-हीरोईन के चित्र मन में उभर आते हैं लेकिन छोटे शहरों के लिए यह दिवास्वॉप्नह की तरह ही है। इसके बावजूद विश्वे के पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थािन अंकित करा चुकी लेकसिटी फिल्म। निमार्ताओं, निर्देशकों को अपनी खूबसूरती के कारण आकर्षित करती रही है। यही कारण है कि यहां कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
शायद यही कारण है कि लेकसिटी और टूरिस्टय सिटी के साथ अब इसे फिल्मकसिटी दिलाने के लिए राजस्थाैन लाइन प्रोड्यूसर मुकेश माधवानी अपने साथियों के साथ पिछले कई वर्षों से संघर्षरत हैं। वे कोई मौका नहीं छोड़ते जब फिल्म सिटी से सम्ब न्धित कोई राजनेता, जनप्रतिनिधि या सेलिब्रिटी यहां आते हैं तो उदयपुर में फिल्मससिटी खोलने की अपनी एक ही मांग रख देते हैं। पिछले 40 वर्षों में 500 से अधिक बॉलीवुड, हॉलीवुड, राजस्थानी एवं दक्षिण भारतीय फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है और यह आंकड़ा शहर में फिलमसिटी खोलने की मांग को पुख्ता करता है।
उदयपुर न्यूरज से मुकेश माधवानी की विशेष बातचीत :
स. आखिर उदयपुर में ही क्यों हो फिल्मसिटी।
ज. यह आम नागरिक ही नहीं वरन् सरकार के लिए भी विचारणीय प्रश्न है कि उदयपुर में ही फिल्म सिटी क्यों। उदयपुर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का निर्माण किया जा चुका है,प्रोपर एयर, रेलवे एवं बस कनेक्टिविटी है। साथ ही प्रकृति ने उदयपुर को अरावली उपत्यकाओं की हरी-भरी वादियों से इस प्रकार आच्छादित किया हुआ है कि इसका नैसर्गिंक सौन्दर्य देखते ही बनता है। यहां के पर्यटक एवं एतिहासिक स्थल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
स. उदयपुर में फिल्मसिटी खुलने से सरकार को क्या लाभ होगा।
ज. यदि सरकार उदयपुर में फिल्मसिटी खोलती है तो सरकार को इस फिल्मसिटी से सालाना कम से कम लगभग 500 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होगा। हजारों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। स्थानीय प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। उदयपुर में वर्षो पूर्व त्रिवेणी नामक संस्था हुआ करती थी जो थियेटर का संचालन करती थी। उस संस्था ने शहर में ऐसे अनेक कलाकार दिये जो बॉलीवुड में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके है और अभी भी प्रतिभा का जलवा बिखेर रहे हैं।
स. फिल्म सिटी के लिए कुल कितनी भूमि की जरूरत होती है।
ज. किसी भी शहर में फिल्मसिटी के निर्माण के लिए कम से कम 200 से 300 बीघा जमीन की जरूरत रहती है।
सुविधाएं : फिल्मसिटी का दर्जा मिलने के बाद इसमें बॉलीवुड के निदेशक यहां पैसा लगायेंगे जिसमें अलग-अलग साईजों के हॉल बनेंगे, निर्माता अपने प्रोजेक्ट अनुसार सेट कम लागत में तैयार कर पायेंगें। ठीक उसी अनुसार जैसा हम विभिन्न टीवी चैनलों पर देखते हैं। जिसमें कौन बनेगा करोड़पति, कोमेडी शो विद कपिल आदि प्रमुख है। इसके अलवा शेष बची भूमि पर एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या किसी गांव का सेट, तालाब का निर्माण कर फिल्मों की शूटिंग की जा सकेगी।
स. क्षेत्रीय भाषा की फिल्में नहीं बनती फिर यहां फिल्मसिटी का क्या औचित्य रहेगा।
ज. फिल्मसिटी खुलने पर समाप्त होती जा रही राजस्थानी फिल्मों को अभयदान मिलेगा। जहां कम बजट पर अच्छी लोकेशन पर क्वालिटीयुक्त फिल्मों का निर्माण हो सकेगा। इसके अलावा प्री वेडिंग गानों की शूटिंग के लिए शहर एंव आस-पास के क्षेत्रों में अच्छी लोकेशन उपलब्ध है।
स. फिल्म सिटी से स्थानीय निवासियों को क्या लाभ होगा
ज. फिल्म निर्माण के लिए फिल्म यूनिट के ठहरने के लिये यहां पर खाने-पीने की सुविधा, आवागमन के साधन, विदेशी फिल्मों के कलाकारों द्वारा की जाने वाली शॉपिंग, स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। आये दिन शूटिंग होने से यहां पर फिल्मी सितारों का जमावड़ा लगा रहेगा, जिससे राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उदयपुर को एक नई पहिचान मिलेगी।
स. उदयपुर तो वैसे ही पर्यटन नगरी है फिर फिल्मसिटी से क्या लाभ होगा।
फिल्मसिटी बनने पर यह एक नये पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार रामोजी एवं मुंबई फिल्मसिटी विकसित हो चुकी है। इन फिल्मसिटी की भांति ही यहां पर भी फिल्मसिटी में घूमने पर सरकार को राजस्व मिलेगा।
स. फिल्म सिटी के संघर्ष में आपके साथ कौन कौन हैं।
ज. फिल्मसिटी को उदयपुर में लाने के लिए हाल ही में फिल्मसिटी संघर्ष समिति का गठन किया है जिसमें मुकेश माधवानी, अनिल मेहता, दिनेश गोठवाल, संतोष कालरा एवं अनिल वनवाला को शामिल किया गया है। सबसे प्रमुख बात फिल्मसिटी बनने पर टीवी चैनलों पर चलने पर डेली सोप की वर्षों तक चलने वाली शूटिंग यहां पर भी होने लगेगी। जिसका लाभ हर प्रकार से यहां की होटलों, उद्योगों, मजदूरों, यातायात एवं ऑटो व्यवसासियों को मिलेगा।