उदयपुर। फतेहसागर में मर रही मछलियो पर झील प्रेमियों एवं विशेषज्ञो ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। ये झीले पेयजल की स्त्रोत है तथा इसमें कतिपय अज्ञात लोगो द्वारा जहर मिला देना एक गंभीर अपराध है। इस तरह की हरकते कभी इंसानो की मौत अथवा गंभीर बिमारियों का कारन भी बन सकती है।
झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल,झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ,मत्स्य विभाग के पूर्व उप निदेशक इस्माइल अली दुर्गा व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल के नन्द किशोर शर्मा ने पाया कि बड़ी मात्रा में बाम और सुईया प्रजाति की मछलीया मृत हुई है ।छुटपूट रूप से ग्लास फिश,पुट्टी व चाल मछलिया भी मरी है और बावजूद मृत मछलियो को हटाये जाने के उपरांत भी मछलियो के मरने का क्रम टूटा नही है।
झीलो में भारी मात्रा में कई प्रकार के घरेलु स्तर पर उपयोग में होने वाले रसायन, बिस्फिनॉल ए युक्त प्लास्टिक, पॉलीथिन, दवाइया, मृत जानवर, जहर देकर मारे गए चूहे सहित अन्य खतरनाक चीजे हर दिन विसर्जित हो रही है। इन सबका मिश्रण केंसर, नपुसंकता, थाइरोइड जैसी बिमारियों को जन्म दे रहा है।
झील प्रेमियो ने कहा कि आतंकवाद, रासायनिक मारको के इस्तेमाल के इस समय में पेयजल की झीलो को बिना किसी निगरानी के छोड़ना खतरनाक साबित हो सकता है।
झील प्रेमियों ने कहा कि इंडियन पीनल कोड के तहत पुलिस को तुरंत मुकदमा दर्ज करना चाहिए।एवं प्रभावी जाँच व् निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए।