मंत्र गायन के साथ आचार्य वंदन
हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम-2016
उदयपुर।
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
जिसका स्वरूप निरंकार होकर भी ब्रह्माण्ड में समाया है और वह सभी चल व अचल में व्याप्त है। जिसके पद्चिह्न ने हमें इसका ज्ञान कराया है, ऐसे गुरु को हम नमन करते हैं।
बीएन विश्वकविद्यालय के मैदान पर चल रहे हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम में षनिवार को अनगढ़े व्यक्तित्व और विचार को आकार देने वाले आचार्यों का वंदन किया गया। आचार्य अल्पेश के पौरोहित्य में वेद मंत्रों के गायन के साथ 321 आचार्यों का वन्दन उनके षिश्यों ने किया। शिष्योंप ने आचार्यों के चरण पखारे, तिलक किया, मौली बंधन किया, अर्घ्य समर्पित किया, श्रीफल भेंट किया, पुष्प वंदन किया और मिश्री का भोग समर्पित किया। अंत में दीप प्रज्वलित कर परात्पर ब्रह्म स्वरूप आचार्य से हाथ जोड़कर प्रार्थना की गई और महेष्वर स्वरूप गुरु की आरती की गई। इस दौरान मंच पर कुलपति, पूर्व कुलपति बिराजे थे और उनका वंदन उन्हीं के समय के षिश्यों ने किया तो उन्हें भी अपने कक्षाकक्ष का जमाना याद आ गया।
मुख्य वक्ता राष्ट्रीेय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य हस्तीमल हिरण ने कहा कि देश की दिशा निर्धारित करने के लिए चाणक्य, हारित ऋशि और समर्थ गुरु रामदास जैसे आचार्य होने चाहिए जो अपने शिष्यं में राष्ट्र भाव जगा सके। चाणक्य ने यवनों से राष्ट्रच रक्षार्थ चन्द्रगुप्त जैसा षिश्य तैयार किया। वहीं हारित ऋशि ने अरबों से धर्म रक्षार्थ बप्पा रावल जैसा प्रचण्ड यौद्धा राष्ट्रज को समर्पित किया। वहीं समर्थ गुरु रामदास ने मुगलों से राष्ट्रसरक्षार्थ शिवाजी को अप्रतिम सेनानायक बना दिया।
मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्य क्ष बीएल चौधरी ने बताया कि गुरु बगैर शिष्या अधूरा है। गुरु का सम्मान देव पूजन है। वेदों में गुरु को साक्षात् परात्पर ब्रह्म कहा गया है। वह देह, आत्मा और कर्म तीनों का नियंता और संरक्षक है। ऐसे गुरु का वंदन हमारी सनातन परम्परा है।
मंच पर नंदलाल, हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम की ट्रस्टी राजलक्ष्मी, बीएन संस्थान के चेयरमैन यशवंतसिंह शक्तावत, एम.पी.यू.ए.टी. के कुलपति उमाशंकर शर्मा, विद्यापीठ के कुलपति एसएस सारंगदेवोत, इतिहासकार प्रो. केएस गुप्ता, पूर्व विधायक श्या मा कुमारी सेंगर और संस्कार भारती के संरक्षक वीरचंद मेहता अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
सजी रंगोली, गूंजे श्लोथक और चौपाइयां, पुरस्कार वितरण : दोपहर रामचरित मानस की चौपाइयां, भगवद्गीता के श्लोशक, संस्कृत श्लोपक गायन, स्वरचित काव्य पाठ, भाषण, रंगोली, मेहंदी प्रतियोगिताएं हुईं। स्वरचित काव्यपाठ (किशोर वर्ग) में द स्टेनवर्ड की फैजा हुसैन प्रथम, राउमावि सीसारमा की प्रीति नाथ द्वितीय, राउमावि गरीब नगर की तनवीन बानो तृतीय रही। मेहंदी प्रतियोगिता में भूमिका वाधवानी प्रथम रही। रामचरित मानस चौपाई गायन बाल वर्ग में न्यू सेंट्रल एकेडमी समूह प्रथम व डीपीएस का समूह द्वितीय रहे। किशोर वर्ग में राउमावि सीसारमा का समूह प्रथम एमएमपीएस समूह द्वितीय, द स्टेनवर्ड गणेश नगर तृतीय रहे। कॉलेज स्तरीय प्रतियोगिताओं के फाइनल भी शनिवार को हुए। कबड्डी छात्र वर्ग में पेसिफिक प्रथम व बीएनसीपीई द्वितीय रहे। छात्रा वर्ग में बीएनसीपीई प्रथम व बीएनपीजी द्वितीय रहे। फुटबॉल में बीएनसीपीई प्रथम व कॉमर्स कॉलेज द्वितीय रहे। खो-खो छात्रा में मीरां कन्या महाविद्यालय प्रथम व बीएनसीपीई द्वितीय रहे। छात्र वर्ग में बीएनसीपीई विजेता रहा।
चित्रकारों का अभिनंदन : संस्कार भारती के राश्ट्रीय मंत्री रवीन्द्र बेड़ेकर ने शड़ंग कला प्रदर्शनी में योगदान देने वाले कलाकारों का सम्मान किया। प्रदर्शनी में गत माह देवेन्द्र धाम में आयोजित पांच दिवसीय कला षिविर के दौरान बनाए गए चित्रों को शामिल किया गया है। यह चित्र संगम की छह थीमों पर आधारित हैं। संगम के मुख्य पाण्डाल में अभिनंदन समारोह हुआ। मंगलम् आर्ट के श्यारम रावत, संगम के अध्यक्ष विरेन्द्र डांगी, सचिव हेमेन्द्र श्रीमाली, सह सचिव अजय गर्ग आदि भी मौजूद थे।
लोक नृत्यों ने मन मोहा : शाम को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तथा लोक कला मण्डल के कलाकारों ने समां बांध दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को देर तक बांधे रखा। लोगों ने जमकर दाद दी।