हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम 2016 सम्पन्न
उदयपुर। फतहसागर की पाल पर वंदेमातरम् के बाद के बीएन विष्वविद्यालय के मैदान में षुरू हुआ हिन्दू अध्यात्म एंव सेवा संगम रविवार को विविध आयोजनों के साथ विदा हो गया। इन आयोजनों में मातृ-पितृ वंदन जन-जन के अंतर्मन को छू गया। सुबह-सुबह योग ने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता सिखाई तो षाम को परमवीर वंदन ने राश्ट्र के प्रति सर्वस्व समर्पण का भाव जगाया।
हजारों वनवासी बंधुओं की मौजूदगी में हुए सामाजिक समरसता सम्मेलन ने भी देष के विकास में हर समाज के योगदान की आवष्यकता को प्रतिपादित किया। रात्रिकालीन कार्यक्रम में संगीत की सुर लहरियों के साथ सेवा के इस संगम ने विदा ली।
विराट सागर समाज अपना, हम सब इसके बिन्दु हैं… : हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम के आखिरी दिन रविवार दोपहर में सामाजिक समरसता सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में षहर के विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों सहित पूरे संभाग से बड़ी संख्या में वनवासी बंधु षामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि हम सब भारत मां की संतानें हैं। सभी समान हैं। कोई ऊंचनीच-भेदभाव हो ही नहीं सकता, सनातन संस्कृति के मूल्य भी यही सिखाते हैं और षास्त्रों में भी जातिभेद जैसी कोई बात नहीं है। वक्ताओं ने मेवाड़ को समरसता का प्रतीक बताया और उससे सीख लेने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कैलाष मेघवाल ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता समरसता में निहित है। समरसता आंदोलन की सफलता वेद-उपनिशद, षास्त्रों एवं सनातन गं्रथों के पठन पाठन से होगी। मेघवाल ने यह भी कहा कि आर्यावर्त में आर्यों में धर्माचरण था और उसी से समरसता भी थी। जनजाति विष्वविद्यालय के कुलपति टीसी डामोर ने कहा कि मूल्य आधारित जीवन को जीते हुए ही हम सामाजिक विशमताओं का समाधान कर पाएंगे। समरस समाज का निर्माण ऐसे ही होगा। गुजरात विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीएस चुण्डावत ने कहा कि राजनीतिक दलों ने हमें वोट पाने के लिए जातिगत वोटों में बांटा, किन्तु षिक्षा व संस्कार के प्रसार से ही भेदभाव मिटाया जा सकता है। समरस समाज के निर्माण के लिए षिक्षा की नितांत आवष्यकता है। राजस्थान वनवासी कल्याण परिशद के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी ने कहा कि हम सब भारत मां की संतान हैं। जब सभी भारत माता की जय एक साथ बोलते हैं तो संतानों में भेद कैसे हो सकता है। इस संगम के उदयपुर में विचारक राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह कोठारी ने कहा कि मेवाड़ ने विष्व को दिषा दी है और मेवाड़ ने समरसता की सीख भी दी है, जो कि मेवाड़ के राजचिह्न में परिलक्षित है।
मेरा देष चार दिन से मुस्कुरा रहा है: दाती महाराज
-कार्यक्रम में आषीर्वादप्रदाता दाती महाराज ने कहा कि मेरा देष चार दिन से मुस्कुरा रहा है। बैंकों की कतार में खड़े लोग कुछ ही घंटों में घबरा रहे हैं और हमारा सैनिक हर मौसम में दिन-रात सीमा पर गोलियों के सामने खड़ा है, वो तो षिकायत नहीं करता। उन्होंने कहा कि राश्ट्र से बड़ा कोई नहीं है। मेरा धर्म मेरा राश्ट्र है। मेरी पूजा मेरा राश्ट्र है। जो राश्ट्र से प्यार नहीं करता, प्रभु भी उसकी पूजा स्वीकार नहीं करता। उन्होंने उपस्थित जनमेदिनी से भारत माता के जैकारे लगवाए और फिर कहा कि ये जैकारे तभी सफल होंगे जब मेरे भारत का व्यक्ति धर्म को धारण कर ले। उन्होंने कहा कि हमारा सनातन धर्म भेदभाव नहीं सिखाता।
जाति भेद षास्त्र सम्मत नहीं : दुर्गादास
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास ने कहा कि हम सबमें परमेष्वर का अंष निवास करता है, यह सनातन विचार है, इसीलिए सभी समान हैं, न कोई छोटा है न कोई बड़ा है। जाति भेद षास्त्र सम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने ढाई हजार वर्श तक बाहरी आक्रांताओं से संघर्श कर अपनी संस्कृति को बचाए रखा है, किन्तु इतने वर्शों के संघर्श में कुछ कमजोरियां और विकृतियां आ गई हैं जिसे दूर करने की आवष्यकता है।
मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः
कहीं बेटे-बहू सास-ससुर के चरण पखार रहे हैं तो कहीं बेटी अपने माता-पिता का पूजन कर रही है, उन्हें देख नाती-पोते भी दादा-परदादा के चरणों में झुक गए, यह दृष्य देख कहीं दादा-दादी की आंखें भर आईं तो कहीं माता-पिता भावविह्वल हो उठे। उन्हें देख दूसरे भी खुद को रोक नहीं पाए और सभी की आंखें भर आईं। इस भावभरे माहौल में बड़े-बुजुर्ग भी भावुक हो उठे, उन्होंने हाथ उठाकर अपने परिवार को आषीर्वाद दिया, ‘जीवते रहो, जुग जुग जीयो’।
इस दृष्य ने ‘मातृ देवो भवः पितृ देवो भवः’ का भाव प्रतिपादित कर दिया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि माता-पिता ही परिवार की धुरी होते हैं। वे चाहे अपनी संतान को डांटे, फटकारें, लेकिन वे अंततोगत्वा अपनी संतान की प्रगति ही चाहते हैं। वक्ताओं ने आग्रह किया कि हम माता-पिता को रोजाना नमन करें। किसी भी कार्य की षुरुआत उनके आषीर्वाद से करें। रामचरित मानस की चौपाई ‘प्रातकाल उठि के रघुनाथा, मात पिता गुरु नावहि माथा’ का उदाहरण देते हुए वक्ताओं ने कहा कि माता-पिता का वंदन सनातन संस्कृति का हिस्सा है। इसे पुनर्स्थापित करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में जैनाचार्य विजय अभय सेन सूरिष्वर महाराज, राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह कोठारी, उद्योगपति व समाजसेवी अरविन्द सिंघल, कोटा विष्वविद्यालय के कुलपति परमेन्द्र दषोरा, आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व आचार्य प्रो. राज्यवर्द्धन सिंह राय, महर्शि दयानंद विष्वविद्यालय अजमेर के कुलपति कैलाष सोडानी आदि ने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संगम के अध्यक्ष विरेन्द्र डांगी, सचिव हेमेन्द्र श्रीमाली, उपाध्यक्ष एसएल नागदा, पुश्पा पारीख आदि ने किया।
हम साथ-साथ हैं : -कार्यक्रम में पांच पीढ़ी का एक कुटुम्ब, चार पीढ़ी वाले तीन कुटुम्ब भी इस आयोजन का हिस्सा बने। पांच पीढ़ी वाला कुटुम्ब वयोवृद्ध मदन देवी तोशनीवाल के सान्निध्य में आया। इसी तरह चार पीढ़ी वाले कुटुम्ब में भंवरलाल श्रीमाली, धूलीबाई लौहार और मोहनसिंह वर्डिया का कुटुम्ब षामिल था।
समापन समारोह में याद किया परमवीरों को
संगम का समापन समारोह षाम को परमवीरों की षहादत को याद करने के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेताओं के जीवन परिचय के साथ देषभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी गई। बच्चों की वंदेमातरम् पर समूह नृत्य प्रस्तुति के साथ षुरू हुए इस आयोजन में बांसवाड़ा के पूज्य ध्यानयोगी महर्शि उत्तम स्वामी ने कहा कि सैनिकों के पराक्रम से ही भारत माता की षान है। वे अपनी जान पर खेलकर सीमा की रक्षा कर रहे हैं और हम यहां चैन की नींद सो पा रहे हैं।पूज्य महामण्डलेष्वर परमहंस दाती महाराज ने कहा कि सेल्फी लेनी है तो नेताओं के साथ नहीं, बल्कि सेना के जवानों के साथ लो।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एनके सिंह थे। उन्होंने कहा कि देष का जवान भारत मां के जयकारे के साथ अपना जीवन अर्पण कर देता है, लेकिन जवानों की षहादत पर नकारात्मक राजनीति करने वालों की नीयत पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने सभी से देष के जवानों के सम्मान की भावना रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सैनिक अपना धर्म निभा रहा है, हम अपना धर्म निभाएं। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरुजीत सिंह ढिल्लों विषिश्ट अतिथि के रूप में विचार व्यक्त किए। संगम के मुख्य संरक्षक उद्योगपति व समाजसेवी अरविंद सिंघल ने सभी का आभार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत संगम के अध्यक्ष विरेन्द्र डांगी, सचिव हेमेन्द्र श्रीमाली, सह सचिव अजय गर्ग आदि ने किया।
स्थानीय प्रतिभाओं से सजी सांस्कृतिक संध्या : संगम के आखिरी दिन की षाम स्थानीय प्रतिभाओं से सजी। फतहनगर के उद्योगपति नितिन सेठिया के मुख्य आतिथ्य व बीएन विष्वविद्यालय के एमडी डॉ. निरंजननारायण सिंह की अध्यक्षता में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में षहर की प्रतिभाओं ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी। प्रस्तुतियों ने दर्षकों का मन मोह लिया। प्रतिभाओं को तालियों की खूब दाद मिली।