खुशी की वो रात आ गई, कोई गीत गाने दो….
उदयपुर। हर उम्र, हर युवा, हर बुजुर्ग को किसी भी समारोह को अपने तरीके से मनाने की आजादी होती है। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग ने अपने सदस्यों के लिए बहुत ही सादगीपूर्ण तरीके से येाग सेवा समिति परिसर में स्नेहमिलन समारोह आयोजित किया गया।
संस्थान के संस्थापक डॉ. सुन्दरलाल दक ने बताया कि समारोह में वरिष्ठ नागरिक मदन सेवक ने मेवाड़ी भाषा में सोती थी रंग महल में सपना रे मारे.., मंजू सिसोदिया ने देवानंद पर अगल-अलग अभिनेत्रियों के साथ फिल्माए गए विभिन्न गानों में से कुछ गानों ष्चले जा रहे मुहब्बत के मारे किनारे-किनारे…., को गाकर सभी नागरिकों को उस दौर में ले जाने का प्रयास किया। चंदकांता मेहता ने तू जो चाहे तो दिन निकलता है, तू जो चाहे रात होती है.. चन्द्रशेखर सनाढ्य ने जब शाम ढले आना, सुन के मिलन का भूल न जाना.. गणपत सेठ ने खुशी की वो रात आ गयी, कोई गीत गाने दो, गाओ रे झूम-झूम के.. एलके आचार्य ने गणपति बंदना कर सभी से तालियों की दाद पायी। इसके अलावा बीएस बक्षी, मधु चावत ने चुटुकले सुनाकर सभी को गुदगुदाया। समारोह में शारदा तलेसरा ने दीपावली पर्व के संदर्भ में विचार व्युक्तभ किए।