उदयपुर। कालेधन को बाहर निकालने, आतंकवाद पर लगाम कसने के नाम पर देश में लागू की गई नोटबंदी के कारण कालेधन का तो पता नहीं, लेकिन गरीब मजदूरों की जान भूख के मारे बाहर निकल रही है।
निर्माण मजदूर एकता यूनियन के अध्यक्ष मुनव्वर खां ने बताया कि पिछले 15 दिनों से उदयपुर शहर के आस पास के गांवों से आने वाले हजारों मजदूर शहर के प्रमुख चौराहों पर मजदूरी के लिए बैठे रहते हैं, लेकिन उन्हें या तो मजदूरी नहीं मिलती और यदि मजदूरी मिलती भी है तो मजदूरी का भुगतान पुराने नोटों से किया जाता है और वे नोट लेने से मना
करें तो मजदूरी भी नहीं मिलती और पुराने नोट ले लें तो उसके बदले कोई सामान नहीं मिलता। इसके चलते मजूदरों के भूखों मरने की नौबत पैदा हो गई है। गांव वापस लौटना हो तो वाहन वाले पुराने नोट नहीं लेते, मजदूर या तो फुटपाथ पर रात गुजारे या पैदल अपने गांव जाए।
मुनव्वर खान ने बताया कि शहर के विभिन्न चौराहों पर मजदूरी के लिए बैठने वाले सैंकड़ों मजदूरों ने अपनी समस्याओं से संगठन को अवगत कराते हुए राहत पहुंचाने का आग्रह किया, जिस पर संगठन की ओर से कुछ मजदूरों को आटा आदि वितरित कर राहत पहुंचाने
का प्रयास किया गया, किन्तु यह राहत उंट के मूंह में जीरे के बराबर है। नोटबंदी के इस फैसले से मजदूरों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
मुनव्वर खां ने बताया कि मजदूरों के बढ़ते आक्रोश व उनकी समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराने एवं मजदूरों को राहत पहुंचाने की मांग को लेकर 25 नवम्बर को सुबह 11 बजे जिला कलेक्ट्री पर सैकड़ों मजदूर प्रदर्शन कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे।