उदयपुर। केन्द्रीय वन मंत्री अनिल माधव दवे ने शनिवार को तीन दिवसीय तीसरे उदयपुर बर्ड फेस्टीवल- 2016 का विधिवत शुभारम्भ किया। पक्षीप्रेमियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पक्षियों से हमें कई प्रकार की सीख मिलती है। उन्होने जटायु, बाज एवं फ्लेमिंगो के उदाहरण देते हुए कहा कि हमें बर्ड वाचिंग तक ही सीमित न रहते हुए पक्षियों के गुण अपनाने चाहिए।
जटायु से प्रेरणा मिलती है कि जान की बाजी लगाकर भी आतंकवादी का सामना करना चाहिए। बाज से हमें अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। फ्लेमिंगों हमें मिलजुल कर प्रेम से रहना सिखाते हैं। उन्होने वन्य जीवों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही वन में रहने वाली जनजातियों के लोग वन एवं वन्य जीवों के साथ तालमेल से रहते आए हैं लेकिन विकास की अंधी दौड़ ने इस तालमेल को बिगाड़ कर रख दिया है।
समारोह को संबोधित करते हुए गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि उदयपुर के लिए वन्य जीव एवं पक्षियों से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रोजेक्ट में पैसे की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होने वन विभाग को प्रोजेक्ट के प्रस्ताव तैयार करने को कहा ताकि उन्हे पूरा कर झीलों की नगरी में पर्यटकों के आकर्षण में और अधिक वृद्धि की जा सके। वन मंत्री एवं कृषि व पशुपालन मंत्री ने भी समारोह को संबोधित किया। इससे पूर्व अतिथियों ने बर्ड फेस्टीवल के लोगो का अनावरण एवं स्मारिका का विमोचन किया। अतिथियों ने कृषि कार्य करते हुए अंग भंग हो जाने पर शंकर सिंह को 1 लाख 40 हजार तथा मृत्यु हो जाने अन्य तीन के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से देय सहायता प्रदान की।
इस अवसर पर राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, वन मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रभूलाल सैनी, सांसद अर्जुन लाल मीणा, मेयर चंद्रसिंह कोठारी, यूआईटी अध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, विधायक रणधीर सिंह भींडर व दलीचंद डांगी सहित अन्य गणमान्य लोग, वन विभाग के अधिकारी एवं स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
वन्य जीवों पर आधारित मेग्जिन का विमोचन : वन्य जीव संरक्षण हेतु कार्य करने वाली सृष्टि भार्गव द्वारा संपादित मेग्जिन सेव्ड का विमोचन किया गया। वन्यजीवों पर आधारित इस पत्रिका में उनके संरक्षण के तरीके एवं उनकी आवश्यकताओं पर आधारित जानकारियां प्रकाशित की गई है। विमोचन के अवसर पर सृष्टि ने बताया कि सरीसृप वर्ग के जीवों को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां हैं जिन्हे दूर करके इन जीवों का संरक्षण किया जा सकता है।