स्वास्थ्य विषय पर सेमिनार आयोजित
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जिनालय संघ एवं जायडस हॉस्पीटल अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में हिरण मगरी सेक्टर 4 स्थित शंाति सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में शनिवार को स्वास्थ्य विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार के मुख्य वक्ता प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ़ सन्दीप अग्रवाल एवं प्रमुख मस्तिष्क एवं न्यूरो विशेषज्ञ डॉ़ अरविन्द शर्मा थे।
इस अवसर पर डॉ़ अरविन्द्र शर्मा ने मस्तिष्क एवं न्यूरो के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि जब मस्तिष्क स्ट्रोक आता है तब सबसे पहले पीड़ित को 4 से साढ़े 4 घंटे की अवधि के भीतर अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है। अस्पताल भी वो जहां पर ऐसे उपचार के लिए सभी जरूरी संसाधन एवं योग्य डॉक्टर की टीम हो। स्ट्रोक के समय व्यक्ति को लकवा होने की सम्भावना होती है। उन्होंने कहा कि यह स्ट्रोक अचानक नहीं आता है। इसका आभास पहले ही हो जाता है जैसे आए दिन सरदर्द होना, शरीर में झनझनाहट होना, चक्कर आना, मुंह टेढ़ा हो जाना, कम चलने पर भी थकान महसूस होना और सबसे जरूरी बात हाई ब्लडप्रेशर और शूगर का होना। उन्होंने कहा कि 40 की उम्र के बाद तो हर व्यक्ति को डॉक्टर से अपना सामान्य चैकअप तो करवाना ही चाहिये ताकि ब्लडप्रेशर और शूगर का पता चल सके। इनका समय पर पता नहीं चलना और समय पर उपचार नहीं होने के कारण ब्रेन हेमरेज की सम्भावना भी ज्यादा रहती है। समय-समय पर पिफजियोथैरेपी भी लेनी चाहिये। इन सबमें महत्वपूर्ण बात है स्ट्रोक आने के मात्र 4 से साढ़े 4 घंटे के भीतर ही पीड़ित को अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है क्योंकि ऐसे केस में समय का बहुत महत्व होता है।
प्रसिद्ध ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ़ संदीप अग्रवाल ने कहा कि शरीर में हृदय यानि दिल सबसे महत्वपूर्ण होता है। मस्तिष्क अगर काम करना बन्द कर दे तब भी व्यक्ति मरता नहीं है लेकिन दिल मात्र 3 मिनिट ही बन्द हो गया तो व्यक्ति को बचाना बहुत ही मुश्किल हो जात है। भारत में अब यह बीमारी तेजी से फैल रही है। उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। किसी भी उम्र में हार्ट अटैक हो सकता है। पहले यह मान्यता थी कि शहरों में रहने वाले लोगों में ही हार्टअटैक आता है लेकिन अब यह मिथक टूट चुका है अब तो यह बीमारी गांवों में भी गम्भीर रूप धारण कर चुकी है। हृदय सम्बन्धी बीमारियों का मुख्य कारण है ब्लडप्रेशर और डायबिटीज। लोगों में अभी तक इन बीूमारियों के प्रति पूर्ण जागरूकता नहीं है। जब यह बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तब लोगों को एहसास होता है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। समय-समय पर शरीर की सामान्य जांच करवाने से इन बीमारियों का शुरू में ही पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को प्रातः घूमना, दौड़ना और खेलना नहीं छोड़ना चाहिये। लेकिन पारीवारिक एवं काम धन्धों की व्यस्तता के चलते व्यक्ति समय नहीं निकाल पाते है। यही कारण है कि पिछले 10 सालों के मुकाबले मात्र 3 सालों में हृदय सम्बन्धित बीमारियों में काफी वृद्धि हुई है और यह हर उम्र के व्यक्ति में फैल रही है। इसके लिए जरूरी है साल में एक बार ही सही व्यक्ति को ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और केलोस्ट्रोल की जांच जरूर करवा लेनी चाहिये ताकि इनका उपचार समय पर हो और इन्हें बढ़ने से रोका सके ताकि हृदय सम्बन्धी कोई रोग नहीं हो। इसके लिए अभी भी जागरूकता की जरूरत है।
संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि सेमीनार में हिरण मगरी क्षेत्र के साथ ही शहर के कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस सेमीनार में शिरकत कर ह्दय रोग एवं मस्तिष्क रोग सम्बन्धी जानकारियां, बचाव एवं उपचार के सम्बन्ध में जानकारियां प्राप्त की। प्रारम्भ में बांठिया ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं अतिथियों का सम्मान किया।
जायडस हॉस्पिटल के डवलपमेन्ट ऑफिसर मुकेश गोमतीवाल ने सेमीनार में आये सभी लोगों का आभार ज्ञापित किया।