तेरापंथ धर्मसंघ का तीन दिवसीय मर्यादा महोत्सव
उदयपुर। यदि स्वयं अनुशासन में रहें तो बाह्य अनुशासन की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। व्यावहारिक अनुशासन भी आवश्यक है। तेरापंथ धर्मसंघ का अनुशासन तो अनुकरणीय है। जहां आज घरों में तीन-चार सदस्यों के परिवार में भी अनुशासन नहीं दिखाई देता वहीं 700 साधु-साध्वियों के संगठन को अनुशासन से ही एक डोर में रखा जा सकता है।
ये विचार रवीन्द्र मुनि ने गुरुवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन अनुशासन दिवस के रूप में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मुनि धर्मेश कुमार ने कहा कि दूसरों को भी अपने समान समझे ंतो अनुशासन स्वतः हो जाएगा। उन्होंने आत्म अनुशासन के प्रयोग भी करवाए। मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि अनुशासन से ही ह्दय परिवर्तन किया जा सकता है। मुनि विनोद कुमार ने कहा कि व्यक्तित्व विकास के लिए अनुशासन मुख्य हैं। शासन (नियम) सुविचारित होंगे तो ही अनुशासन होगा। यशवंत मुनि ने कहा कि अनुशासन तेरापंथ धर्मसंघ की रीढ़ है। मुनि दिनकर, मुनि शांतिप्रिय ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन मुनि अतुल कुमार ने किया।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में सिलीगुड़ी में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस चैनल पर शुक्रवार सुबह 11.30 बजे से होगा। महोत्सव का तीसरा दिन मर्यादा महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा।