तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादा महोत्सव का समापन
उदयपुर। विश्व में चांद और सूरज भी अपनी मर्यादा से चलते हैं लेकिन मनुष्य अपनी मर्यादाएं तोड़ रहा है। देश के संविधान में कितने ही परिवर्तन हुए लेकिन तेरापंथ धर्मसंघ का 200 वर्ष पुराना मौलिक संविधान आज भी यथावत है।
ये विचार रवीन्द्र मुनि ने शुक्रवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित मर्यादा महोत्सव के अंतिम दिन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मर्यादाओं का वाचन भी किया।
मुनि धर्मेश कुमार ने कहा कि मर्यादाएं तेरापंथ धर्मसंघ के लिए ओजोन की छतरी के समान है। मर्यादा प्रवर्तक तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु ने गहन मंथन के बाद निष्कर्ष निकाला कि विचार क्रांति, आचार क्रांति के साथ व्यवस्था क्रांति भी आवश्यक है। आचार्य भिक्षु ने मर्यादा बनाई कि आचार्य एक ही हों तथा सभी शिष्य व शिष्याएं आचार्य के सान्निध्य में चलें। उत्तराधिकारी की नियुक्ति भी आचार्य करें। मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि मर्यादा जीवन का प्राण है। मर्यादित व्यक्ति स्वयं तो सुखी होता है औरों को भी उससे कोई शिकायत नहीं होती। मुनिवृंदों द्वारा सामूहिक रूप् से संगान किया गया।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा एवं युवक परिषद अध्यक्ष राकेश नाहर ने भी विचार व्यक्त किए। सोनल सिंघवी एवं समूह ने शासन मंगल-मंगल है, मर्यादा हमारी शान है, भिक्षु तो भगवान है, शासन ही शान है का सामूहिक संगान किया। मंगलाचरण रीता कच्छारा ने किया।