उदयपुर। होली खेलने वाले लोग अब त्वचा की बीमारियों से बच सकते हैं। फूलों से बनाई हर्बल गुलाल बनाने का कार्य जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक जनशिक्षण एवं कार्यक्रम निदेशालय के अन्तर्गत संचालित श्रेय भारती सामुदायिक केन्द्र साकरोदा की स्वयं सहायता समूह की 75 महिलाएं फूलों को इकट्ठा कर बना रही हैं।
कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि फूलों की हर्बल गुलाल त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होने के साथ साथ बीमारियों से इसका बचाव भी करेगा। उन्होने कहा कि बाजारों में बिकने वाली रंग-बिरंगी सोप स्टोन से तैयार गुलाल में कई तरह के नुकसानदायी पदार्थ मिलाये जाते है। इससे कई तरह की बीमारियां हो जाती है। निदेशक डॉ. मंजू मांडोत ने बताया कि साकरोदा एवं इसके आस पास गांवों की लगभग 500 महिलाएं इस केन्द्र से जुड़ी हुई हैं जो स्वयं का रोजगार इस केन्द्र के माध्यम से कर अपने घर का भरण पोषण कर रही है। केन्द्र प्रभारी राकेश दाधीच ने बताया कि पहली बार किये गये इस प्रयास में 2 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य है जिसे न्यूनतम दाम पर बाजार में विक्रय किया जाएगा।