उदयपुर। राष्ट्रवादी अभियंताओं के संगठन की तृतीय द्विमासिक संगोष्ठी का आयोजन विज्ञान महाविद्यालय के विवेकानंद सभागार में पवित्र ग्रंथ श्री गीताजी एवं विज्ञान विषय पर हुई।
मुख्य वक्ता इस्कॉन उदयपुर के पूज्य संत नित्य मुरारी दास ने बताया कि श्री गीताजी भक्ति, वेदांत एवं विज्ञान का अनूठा ग्रंथ है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि आधुनिक विज्ञान के पास जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं हैं, वे भारतीय सनातन ग्रंथों में उपलब्ध हैं। श्री गीताजी को लिपिबद्ध महर्षि वेद व्यास ने किया जो स्वयं भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से महाभारत के युद्ध में हमें प्राप्त हुई।
पूज्य संत श्री नित्य मुरारी दास एनआईआईटी सूरत से 2014 में ट्रिपल ई में अभियांत्रिकी स्नातक हैं, जिन्होंने इस्कॉन से जुड़ अपना संपूर्ण जीवन श्री कृष्ण एवं श्री गीता जी के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित कर दिया है। संत ने बताया कि न तो श्री कृष्ण ना ही श्री गीता जी मिथ्या है जैसा कि पश्चिम के इतिहासविद कहते हैं. गीता जी में वर्णित स्थान आज भी विद्यमान है, जहाँ जा कर हम धर्म लाभ प्राप्त कर सकते हैं. कभी पश्चिम के वैज्ञानिकों ने राम सेतु ट्के को प्राकृतिक कहा था और आज वे ही यह कह रहे हैं कि यह मानव निर्मित है जो कि लगभग २६ लाख वर्ष पूर्व निर्मित है और यही रामायण का कालखण्ड भी है जिसे हम त्रेता युग कहते हैं, आज पश्चिम की मान्यताएँ झूठी पड़ रही है तथा वे भी भारतीय मान्यताओं एवं ग्रंथों का अनुसरण करने लग गए हैं। इससे पूर्व माँ भारती एवं माँ शारदा के चित्रों प्र मल्यार्पण कर पूज्य संत श्री नित्य मुरारी दास, संघ प्रचारक आदरणीय नंदलाल जी, गोविंद सिंह टांक, के एल समदानी, अजय गर्ग द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। गोष्ठी के विशिष्टम अतिथि सेवानिवृत पूर्व मुख्य अभियंता एवं आर पी एस सी के पूर्वअध्यक्ष गोविंद सिंह टांक थे। संचालन मनोज जोशी ने किया। धन्यवाद सुहास मनोहर ने दिया।