भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी का 5 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारम्भ
निकली शोभायात्रा, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं
उदयपुर। नवनिर्मित जिन शासन के 20 वें तीर्थंकर एवं शनिग्रह के कारक परमात्मा श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की भव्य अंजन शलाका एवं प्रतिष्ठा महोत्सव के पांच दिवसीय समारोह की शुरूआत रविवार से शहर के न्यू भूपालपुरा के रामवाटिका के समीप हुई। प्रतिष्ठा 9 मार्च को होगी।
प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारम्भ शुभ निश्रा में परमोपकारी आचार्य देवेश श्रीमद्विजय हेमचन्द्र सुरिश्वतर म़सा, सरलमना प्रखर प्रवचनकार आचार्य भगवन्त कल्याण बोधि सूरिश्वर मसा, मेवाड़ विचरण एवं नूतन अयार्म भगवन्त निपुणरत्न सूरिश्वर मसा की चदुर्विद संघ की श्रावक-श्राविकाओं की भारी भीड़ के साथ प्रातः 9 बजे गाजेबाजे के साथ शोभा यात्रा निकली। शोभायात्रा न्यू भूपालपुरा के विभिन्न क्षे़त्रों से होती हुई साढ़े ग्यारह बजे मन्दिरजी पहुंची। बीच राह में अनेक स्थानों पर गुरूभक्तों द्वारा गुरूभगवन्तों का स्वागत किया गया एवं भगवान के जयकारों से आसमान गूंजा दिया। शोभायात्रा में पुरूषों ने श्वेत वस्त्र धारण किये वहीं महिलाएं लाल साड़ी में मंगलगान करती चल रही थी। जहां-जहां मार्ग में गुरूभगवन्तों का स्वागत हुआ वहां पर विशेष रूप से रंगोलियां सजाई गई थी। शोभा यात्रा साढ़े ग्यारह बजे प्रतिष्ठा स्थल पर पहुंची। इसके बाद पवित्र पूजन के साथ ही प्रतिष्ठा निमित्त विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान हुए। महोत्सव में जीवदया, अनुकम्पा और मानवता के कई कार्य सम्पादित हो रहे हैं।
आचार्य हेमचन्द्र सूरिश्वर मसा ने प्रवचन में कहा कि साक्षात भगवान भले ही हमें न मिले हों फिर भी स्थापना स्वरूप परमात्मा की प्राप्ति भी हमें बहुत पुण्य से मिलती है। भगवान की भक्ति करते-करते ही भक्त भगवान के निकट पहुंचते हैं और अपने कर्मबन्धन को तोड़कर स्वयं भगवान बनते हैं। महोत्सव में गौतम स्वामी प्रवचन मण्डल एवं भामाशाह भोजन मण्डल ने विभिन्न धार्मिक बोलियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। महोत्सव के समापन पर स्वामी वात्सल्य हुआ जिसमें 600 से ज्यादा श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया।
आचार्यश्री हेमचन्द्र सूरी ने च्यवन कल्याणक के महत्व को बताते हुए कहा कि देव लोक से परमात्मा के जीव का माता के कुक्षे यानि उदर में अवतरण होना है। भगवान जब माता के उदर में अवतरित होते हैं तब तीनों लोकों में प्रकाश हो जाता है और घर-घर में आनन्द छा जाता है। सोमवार को दूसरे दिन मुनि सुव्रतस्वमी भगवान के सिद्धचक्र महापूजन और च्यवन कल्याणक उजमणी के महान धार्मिैक अनुष्ठान होंगे। प्रातः 11 से साढ़े 12 बजे तक आचार्यश्री के प्रवचन होंगे।