आवासीय शिविर का समापन
उदयपुर। छह दिन पूर्व जब आपस में मिले थे तब बिल्कुल अनजान थे लेकिन आज जब शिविर का समापन हुआ और बिछड़े तो मानों जाने का मन ही नहीं हो रहा था। शिविर में इतना कुछ सीखने को मिला कि प्रतिभागी बच्चों ने न सिर्फ राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रति बल्कि आयोजक महावीर एकेडमी के प्रति भी आभार व्यक्त किया। साथ ही विश्वास जताया कि आगे भी बच्चों को ऐसे प्रेरक शिविर में भाग लेने का मौका मिलेगा।
मौका था राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से राज्यस्तरीय एवं जिला स्तरीय मेरिट में अपना नाम दर्ज कराने वाले संभाग भर के छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए गायरियावास स्थित महावीर एकेडमी में लगाए गए छह दिवसीय उन्नयन एवं संप्रेषण कौशल आवासीय शिविर के समापन का। मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी-माध्यमिक शिवजी गौड़ थे वहीं अध्यक्षता वक्ता सुंदर कटारिया ने की। विशिष्ट अतिथि पूर्व शिक्षा उपनिदेशक धर्मचंद नागौरी थे।
गौड़ ने कहा कि नई तकनीक के साथ चलें। शिविर के प्रतिभागी बच्चों के पास मोबाइल है। सभी व्हाट्सअप ग्रुप बना लें और उसका उपयोग सिर्फ और सिर्फ एकेडमिक ज्ञान के लिए करें। परीक्षाओं, पाठ्यक्रम से सम्बन्धित बातों के लिए करें न कि गुड मॉर्निंग और गुड नाइट के लिए। सवाल जवाब के दौरान बच्चों द्वारा डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस बनने की चाह रखने वाले जवाबों पर गौड़ ने कहा कि आपमें से नेता कोई भी क्यों नहीं बनना चाहता। नेता सही होंगे तो देश स्वतः सही दिशा में जाएगा।
विशिष्ट अतिथि नागौरी ने कहा कि मन में कोई अच्छी बात आती है तो पहले वो करें। किसी का इंतजार न करें। कन्फ्यूजन तो हमेशा रहेंगे। अमूमन कोई भी स्कूल एक बार कैम्प आयोजन करके दूसरी बार मना कर देता है लेकिन महावीर एकेडमी यह चौथा शिविर आयोजित कर रहा है। निश्चित रूप् से बधाई के पात्र हैं। अपना लक्ष्य तय कर लें। आज व्यक्ति अपने आप में खोया हुआ है, पड़ोस में क्या हो रहा है कुछ नहीं मालूम। ऐसा नहीं होना चाहिए। राष्ट्र सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। जहां मैं और राष्ट्र की बात आती है तो ऐसे में राष्ट्र को पहले चुनना होगा।
वक्ता कटारिया ने कहा कि आज यह शिविर का समापन नहीं बल्कि जिंदगी के नए पलों का उद्घाटन है। यहां जो सीखा, उसे अमल में लाने का दिन है। आज के युग में व्यक्तित्व विकास यानी पर्सनालिटी डवलपमेंट जैसे ठीक से रहना, खाना-पीना आदि हो गया है। व्यक्तित्व विकास के लिए पांच कारक आवश्यक हैं। इनमें शरीर, प्राण, मन, बुद्धि एवं आत्मा शामिल हैं। इन पांचों का सही विकास हुआ तो जीवन का विकास हो जाएगा।
शिविर संयोजक राजकुमार फत्तावत ने कहा कि शिविर में बच्चों को हर क्षेत्र के विशेषज्ञों से मिलवाया गया, हरसंभव प्रयास किया गया। इसके बावजूद यदि कोई कमी रहती है तो शिविर संयोजक के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है। जिंदगी में कभी कोई जरूरत हो तो निश्चित रूप् से संपर्क करें, यथासंभव सहयोग किया जाएगा। प्रतिभागी छात्र-छात्राओं में आदित्य टांक, प्रियल, रेणु, मंजू आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों सहित शिविर में सेवाएं देने वाले शारीरिक शिक्षक चुन्नीलाल चंदेरिया एवं गौरव का उपरणा ओढ़ा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया।