उदयपुर। देश में जी.एस.टी के लागू होने से आई.टी. उद्योग में 20-25 हजार करोड़ रूपये से अधिक के नये करोबार का सृजन होगा यह बात 19 मई को इस विषय पर पेसिफिक विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में सामने आई। विशेषज्ञों के अनुसार छोटे-छोटे उद्यमों से लेकर बड़ी से बड़ी कम्पनी को बिल बनाने से लेकर इआपी प्लेटफर्म में परिवर्तन के लिये जो साफ्टवेयअर बनवाने पड़ेगे या उनमें परिवर्तन करने पड़ेंगे जिससे आई.टी. उद्योग में हजारों नयी नौकरियों का भी सृजन होगा।
भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधार जी.एस.टी. के लागू होने से बड़ी संख्या में आई. टी. समाधान एवं उनका उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। इस परिस्थिति में उदयपुर की आई.टी. इन्डस्ट्री को सक्रिय पहल करते हुए इस चुनौती को स्वीकार कर छोटे व मध्यम व्यापारियों की आवश्यकतानुसार आई.टी. समाधान विकसित करने चाहिए। यह बात पेसिफिक विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट द्वारा ‘जीएसटी लागू होने पर आईटी सेक्टर में ग्रोथ की संभावना’ के विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही। प्रो. शर्मा ने विश्वास व्यक्त किया की उदयपुर की आई.टी. क्षेत्र में ऐसे आई.टी. समाधान विकसित करने का केन्द्र बनने की क्षमता है और इस दिशा में संयुक्त प्रयास करके कि आवश्यकता है। परिचर्चा में नगर के प्रमुख चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स, आई.टी. सेक्टर के उद्योगपतियों व फैकल्टी सदस्यों ने भाग लिया।
प्रो. शर्मा ने प्रस्ताव दिया कि उदयपुर के चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स, आई.टी. कम्पनियां एवं पेसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी सदस्यों का एक वर्किंग गू्रप बनाकर इस प्रकल्प पर तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है तथा पेसिफिक विश्वविद्यालय इसके लिए हर प्रकार से सहयोग करने हेतू ततपर रहेगा।
प्रारंभ में डीन प्रो. महिमा बिरला ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि पेसिफिक ग्रूप हर बड़े परिवर्तन के समय अपना दायित्व निभाते हुए विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन करने में अग्रणी रहा है और इसी क्रम में जीएसटी जैसे बड़े परिवर्तन के लागू होने से पहले इस राउण्ड टेबल का आयोजन किया गया है।
डा. पुष्पकान्त शाकद्विपी ने कहा की छोटी एवं मध्यम आई.टी. क्षेत्र की कंपनीयों के लिए जी.एस.टी. क्रियान्वयन के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं है। डा. निधि नलवाया ने गोष्ठी के विषय एवं चर्चा के बिन्दुआंे के बारे में अवगत कराया। चर्चा के मॉडरेटर सी.ए. विशाल तापड़िया ने कहा कि जीएसटी रेजीम में व्यापार से संबंधित सभी जानकारियों को जी.एस.टी. नेटवर्क पर अपलोड करना आवश्यक होगा। चूकि भारत में 15 करोड़ छोटे व मध्यम व्यापारी हैं, अतः इस प्रक्रिया में बहुत बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न होगा। इन सब कार्यों के लिए साफ्टवेयर व हार्डवेयर दोनों ही क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावनाएं आई.टी. सेक्टर के समक्ष आएगी। उन्होंने कहा कि न केवल व्यापारियों बल्कि सरकार को भी इतने विशाल डेटा के एनालाइसिस के लिए बड़ी मात्रा में आई.टी. संसाधनों की जरूरत पड़ेगी। सी. ए. यशवन्त मंगल ने कहा कि जी.एस.टी न सिर्फ एक टैक्स सुधार है बल्कि यह भारत का सबसे बड़ा बिजनेस रिफॉर्म भी है।
यूसीसीआई के प्रतिनिधि सी.ए. अंशुल मोगरा ने कहा कि न केवल जी.एस.टी लागू होने से बल्कि डिजीटाइजेशन के बढ़ते प्रचलन के कारण भी व्यापार के हर क्षेत्र में आई.टी. व साफ्टवेयर का प्रयोग अभी काफी बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार का भी जोर डिजीटाइजेशन को बढ़ावा देकर समानान्तर अर्थव्यवस्था को खत्म करना है। सी. ए. डी.सी. अग्रवाल ने छोटे व्यापारियों को आने वाली परेशानियों की ओर ध्यान दिलाया।
गोष्ठी में सी.ए. दिलीप कोठारी ने एक अत्यन्त उपयोगी सुझाव देते हुए आई.टी. इन्डस्ट्री से अपील की कि वह पी.ओ.एस. मशीनों में ही सुधारकर ऐसी बिलिंग मशीन लाने का प्रयास करे जिससे निकलने वाली इनवायस में वो सभी जानकारियाँ निहित हों जिनकी जी.एस.टी. नेटवर्क पर अपलोड करने की बाध्यता है। ऐसी मशीन छोटे व मध्यम व्यापारियों तथा कैश बिक्री करने वाले दुकानदारों तथा व्यापारियों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।
डा. शिवोहम सिंह ने बताया की अनुमान के मुताबिक जी.एस.टी लागू होने के कारण लगभग 100 करोड़ रूपए का व्यापार सूचना एवं प्रोद्योगिकी क्षेत्र में उत्पन होगा। विशेषकर देश में अधिकतर व्यापार लघु एवं मध्यम उपक्रमों द्वारा संचालित किया जाता है। ओर उन्हें जी.एस.टी. लागू करने के लिए व्यापार अनुसार बिलिंग व रिर्कोड किपिंग में आई.टी. की महŸिा आवश्यकता होगी। प्रतिमाह लगभग 300 करोड़ इनवोईस जी.एस.टी पोर्टल पर डाली जाएगी। इन सभी सूचनाओं को एकत्र व संयोजित करने में आई. टी. सेक्टर में महŸाी भूमिका निभाएगा। इस परिपेक्ष में उदयपुर की आई.टी. उद्योग, पेशेवर लेखाकार व प्रबन्धन के लोग मिलकर शहर को आई.टी. क्षेत्र में प्रथम पंक्ति में स्थापित कर सकते है।
सी.ए. आशीष ओस्तवाल ने कहा कि जिस प्रकार की तैयारी सरकार ने की है उसे देखते हुए किसी भी स्तर के व्यापारी का जी.एस.टी नेटवर्क से बच कर बाहर रह पाना लगभग असंभव प्रतीत होता है। सी.ए. कुणाल अग्रवाल, नरेश माहेश्वरी व दिव्या शेखावत तथा आई.टी. उद्योगपति नेक्स्ट जेन सोलूशन के विवेक भारद्वाज ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डा. निधि नलवाया ने किया। कार्यक्रम के अंत में डा. पुष्पकान्त शाकद्विपी ने सभी का आभार व्यक्त किया।